लखनऊ/फरीदाबाद। एक समय अपने मेडिकल कॉलेज की टॉपर और सम्मानित प्रोफेसर रहीं डॉ. शाहीन सईद आज पुलिस हिरासत में हैं — उन पर आरोप है कि वे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी हैं। हरियाणा के फरीदाबाद में भारी मात्रा में विस्फोटक बरामदगी के बाद डॉ. शाहीन को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से एक रूसी असॉल्ट राइफल और कारतूस बरामद हुए, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर उनके साथी डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई ने किया था।
टॉपर से प्रोफेसर तक का सफर
डॉ. शाहीन का जन्म लखनऊ के कैसरबाग क्षेत्र में हुआ। परिवार मध्यमवर्गीय था, लेकिन शाहीन बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहीं। उन्होंने लखनऊ के सरकारी गर्ल्स कॉलेज से दसवीं और बारहवीं दोनों में टॉप किया। इसके बाद प्रयागराज के सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी (फार्माकोलॉजी) की डिग्री ली। 2006 में उन्हें कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किया गया। 2009 में उनका छह महीने के लिए कन्नौज मेडिकल कॉलेज में तबादला हुआ, लेकिन 2010 में वे दोबारा कानपुर लौटीं। कॉलेज रिकॉर्ड के अनुसार, 2013 से उन्होंने बिना सूचना कॉलेज आना बंद कर दिया। प्रशासन ने कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आखिरकार 2021 में सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
निजी जिंदगी और बदलाव की शुरुआत
डॉ. शाहीन के निजी जीवन में भी उथल-पुथल रही। उन्होंने अपने पहले पति डॉ. हयात से शादी की थी, लेकिन 2015 में तलाक हो गया। तलाक के बाद वे लखनऊ में अकेली रहने लगीं और बाद में हरियाणा के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी करने लगीं। यहीं उनकी मुलाकात हुई डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई से — एक युवक जो अब आतंकी नेटवर्क की जांच में मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है। पुलिस को शक है कि इसी दौरान शाहीन के विचारों में कट्टरपंथी झुकाव आने लगा।
विस्फोटक बरामदगी और गिरफ्तारी
फरीदाबाद पुलिस ने हाल ही में एक बड़ी कार्रवाई में भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जब्त की। इस सिलसिले में गिरफ्तार किए गए डॉ. मुज़म्मिल के पास से मिले दस्तावेज़ों और फोन कॉल डिटेल्स ने डॉ. शाहीन का नाम उजागर किया। जांच में सामने आया कि शाहीन के नाम पर दर्ज एक कार में से रूसी असॉल्ट राइफल (AK-47) और कारतूस बरामद हुए। जांच एजेंसियों का कहना है कि इस हथियार का इस्तेमाल दिल्ली बम धमाकों से जुड़े मॉड्यूल ने किया था।
पुलिस जांच में नया मोड़
यूपी एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम अब यह पता लगाने में जुटी है कि — क्या शाहीन सक्रिय रूप से आतंकी गतिविधियों में शामिल थीं, या फिर मुज़म्मिल के संपर्क में आकर वे अनजाने में इस जाल में फँसीं। शाहीन की पुरानी कॉल रिकॉर्ड, ईमेल और बैंक ट्रांज़ैक्शन की जाँच जारी है। अधिकारियों का कहना है कि 2013 के बाद से शाहीन का सोशल और प्रोफेशनल ट्रेस लगभग गायब था।
लखनऊ में उनके पूर्व सहयोगी आज भी सदमे में हैं। जीएसवीएम कॉलेज की एक सहकर्मी ने बताया — “वो बेहद होशियार और शांत स्वभाव की थीं। किसी को विश्वास नहीं हो रहा कि शाहीन ऐसे किसी नेटवर्क से जुड़ सकती हैं।” शाहीन का यह परिवर्तन कई सवाल छोड़ जाता है —क्या यह एक शिक्षित महिला की गुमराह होने की कहानी है, या फिर एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा?
फिलहाल डॉ. शाहीन पुलिस हिरासत में हैं। उनसे पूछताछ जारी है और एटीएस को उम्मीद है कि उनके बयान से दिल्ली धमाकों और आतंकी मॉड्यूल की गुत्थी सुलझाने में मदद मिलेगी। जांच अभी शुरुआती चरण में है, और एजेंसियाँ किसी भी नतीजे पर पहुँचने से पहले साक्ष्यों की पुष्टि कर रही हैं।

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