BSA सस्पेंड, एंटी करप्शन कोर्ट ने दिया FIR का आदेश... फर्नीचर टेंडर में ₹2.25 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप!



लखनऊ। गोंडा जनपद के बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगने के बाद शासन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई देवीपाटन मंडल के कमिश्नर और जिलाधिकारी गोंडा की संस्तुति पर की गई है। शासन ने तिवारी के खिलाफ विस्तृत विभागीय जांच के आदेश भी दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने फर्नीचर सप्लाई करने वाली एक कंपनी से ₹15 करोड़ के टेंडर को पास करने के एवज में 15% कमीशन, यानी लगभग ₹2.25 करोड़, की रिश्वत मांगी थी। इसमें से ₹30 से ₹50 लाख एडवांस के रूप में मांगने का आरोप है।
शिकायतकर्ता मनोज कुमार पांडे, जो मोतीगंज क्षेत्र के निवासी हैं, ने एंटी करप्शन कोर्ट में मामला दर्ज करवाया था। उनका कहना है कि उन्होंने टेंडर की प्रक्रिया के दौरान दबाव में आकर ₹26 लाख तक दे दिए, लेकिन इसके बावजूद उनका टेंडर पास नहीं किया गया। मनोज के अनुसार, जब उन्होंने शेष रकम देने से इनकार किया, तो उनकी फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया और उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
शिकायत की सुनवाई के बाद एंटी करप्शन कोर्ट ने गोंडा के बीएसए अतुल कुमार तिवारी, जिला समन्वयक (निर्माण) विद्याभूषण मिश्रा, और जेम पोर्टल के जिला समन्वयक प्रेम शंकर मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि आरोप प्रथम दृष्टया गंभीर हैं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच आवश्यक है।
शासन स्तर पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अतुल कुमार तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन की अवधि में उन्हें लखनऊ मंडल के मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध किया गया है। वहीं, मंडल स्तर पर विभागीय जांच समिति गठित की गई है जो वित्तीय अनियमितताओं और रिश्वतखोरी के सभी पहलुओं की जांच करेगी।
निलंबित बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने सभी आरोपों को निराधार और झूठा बताया है। उन्होंने कहा, “यह मेरे खिलाफ राजनीतिक और व्यक्तिगत द्वेष की साजिश है। मैंने किसी से कोई धन नहीं मांगा। टेंडर की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रही है।”
हालांकि, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में कुछ वित्तीय अनियमितताएँ सामने आई हैं, जिनकी पुष्टि के लिए विस्तृत जांच जारी है। गोंडा जिले में बीते कुछ वर्षों में बेसिक शिक्षा विभाग के तहत करोड़ों के फर्नीचर, भवन निर्माण और स्टेशनरी टेंडरों में गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आती रही हैं।
कई मामलों में फर्जी कंपनियों और घोटालेबाज नेटवर्क का संलिप्त होना सामने आ चुका है। यह मामला भी उसी क्रम में एक बड़ा खुलासा माना जा रहा है। जो शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ों तक पहुँचने वाली जांच का रास्ता खोल सकता है।
शासन की विशेष जांच टीम मामले की वित्तीय फाइलें, जेम पोर्टल लेनदेन और टेंडर प्रक्रिया की जांच करेगी। यदि आरोप साबित होते हैं, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और आईपीसी की धारा 420, 406, 120B के तहत कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल अतुल कुमार तिवारी को सभी प्रशासनिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया है।

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