एसआईटी जांच में हुआ खुलासा : 100 करोड़ की संपत्ति और 11 दुकानों के मालिक है सस्‍पेंड CO ऋषिकांत शुक्ला!



कानपुर। उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग की छवि एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। सहारनपुर के बाद अब कानपुर में पुलिस अफसर के खिलाफ बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और गैंग से संबंधों के आरोपों ने खाकी को शर्मसार कर दिया है। मैनपुरी जिले के भोगांव के सर्किल ऑफिसर (CO) ऋषिकांत शुक्ला को शासन ने निलंबित कर दिया है। कानपुर पुलिस की एसआईटी जांच में ऋषिकांत शुक्ला के पास करीब 100 करोड़ रुपये की बेनामी और अकूत संपत्ति होने का खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि शुक्ला का नाम जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे गैंग से जुड़ा है। विजिलेंस विभाग ने अब उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच शुरू कर दी है।
तीन नवंबर को शासन में तैनात सचिव जगदीश ने प्रमुख सचिव, विजिलेंस विभाग को पत्र लिखकर सीओ ऋषिकांत के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पत्र में बताया गया है कि अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) प्रशासन की संस्तुति और कानपुर पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर यह जांच प्रारंभ की गई है। वर्तमान में मैनपुरी में तैनात ऋषिकांत शुक्ला ने कथित तौर पर अपनी और अपने परिजनों, साथियों व साझेदारों के नाम पर 12 स्थानों पर संपत्तियां अर्जित की हैं, जिनकी कुल बाजार कीमत लगभग 92 करोड़ रुपये बताई जा रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आर्यनगर में 11 दुकानें उनके करीबी देवेंद्र दुबे के नाम पर हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ऋषिकांत शुक्ला 1998 से 2006 तक कानपुर में उपनिरीक्षक और 2006 से 2009 तक निरीक्षक के रूप में तैनात रहे। यानी करीब 11 साल तक कानपुर में लगातार पोस्टिंग ने उन्हें स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली बना दिया। इसके बाद प्रमोशन पाकर वे पुलिस उपाधीक्षक (DSP/CO) बने और उन्नाव समेत कई जिलों में तैनाती मिली।
हाल में कानपुर पुलिस ने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के निर्देश पर अधिवक्ता अखिलेश दुबे को एक फर्जी रेप केस रचने के आरोप में जेल भेजा था। इसी मामले में गठित एसआईटी जांच में खुलासा हुआ कि अखिलेश के गिरोह में कुछ पुलिसकर्मी, पत्रकार और वकील शामिल थे। इसी जांच में सीओ ऋषिकांत शुक्ला का नाम सामने आया।
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश दुबे ने अपने प्रभाव और संपर्कों के दम पर पुलिस और न्यायिक तंत्र में एक मजबूत नेटवर्क खड़ा कर रखा था। जांच एजेंसियों का दावा है कि ऋषिकांत शुक्ला उस नेटवर्क के अहम सदस्य के रूप में काम करते थे।
आरोपों को नकार रहे हैं ऋषिकांत शुक्ला
वहीं, निलंबित सीओ ऋषिकांत शुक्ला ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद और झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि वे विजिलेंस जांच में पूरा सहयोग करेंगे और सच्चाई जल्द सामने आएगी। एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, ऋषिकांत शुक्ला सहित करीब दस पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिन पर अखिलेश दुबे गिरोह से संपर्क रखने का संदेह है। जांच एजेंसियों का कहना है कि कुछ और पुलिस अफसरों के नाम भी जल्द सामने आ सकते हैं।

Post a Comment

0 Comments