जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर्स से खुली पोल
कुछ हफ्ते पहले श्रीनगर के कई इलाकों में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर्स चिपकाए गए थे। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो एक शख्स पोस्टर लगाते हुए दिखा। जांच आगे बढ़ी तो सामने आया नाम — डॉ. आदिल अहमद, जो सहारनपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में बतौर डॉक्टर काम कर रहा था।
शादी, प्यार और दोहरी ज़िंदगी
पुलिस की जांच में सामने आया कि डॉ. आदिल ने कुछ दिन पहले ही अपने अस्पताल की एक महिला डॉक्टर से निकाह किया था। 4 अक्टूबर को शादी हुई, और वह अब अपनी नई दुल्हन के साथ हनीमून पर जाने की तैयारी में था। लेकिन किस्मत ने करवट ली — 27 अक्टूबर की रात को श्रीनगर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में निकली आतंक की कहानी
पहली नज़र में शांत, पढ़ा-लिखा और पेशेवर लगने वाला आदिल जब पुलिस के घेरे में आया, तो उसकी असली साजिश खुली। पूछताछ में उसने बताया कि हाल ही में छुट्टी लेकर अपने घर अनंतनाग गया था और वहीं उसने जैश के प्रचार वाले पोस्टर लगाए।
लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की, तो आदिल ने कबूल किया कि उसने फरीदाबाद के किराए के मकान में 350 किलो आरडीएक्स, 2 AK-47 और जिंदा कारतूस छिपा रखे थे। पुलिस ने मौके पर छापा मारा और पूरा जखीरा बरामद किया।
“बहुत शांत था, किसी को शक नहीं हुआ” — अस्पताल प्रशासन
फेमस हॉस्पिटल, सहारनपुर के एडमिन असलम जैदी के मुताबिक, “आदिल छह महीने पहले हमारे अस्पताल से जुड़ा था। वह बेहद शांत और प्रोफेशनल था। उसका पता, मेडिकल रजिस्ट्रेशन सब वैध थे। किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वह ऐसी हरकतों में शामिल है।”
देश की सुरक्षा एजेंसियों में हलचल
आदिल की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। अब NIA और IB भी इस केस में जुड़ चुकी हैं। यह जांच की जा रही है कि आदिल के तार किस नेटवर्क से जुड़े थे और इतना भारी विस्फोटक किस मकसद से इकट्ठा किया गया था।
डॉक्टर की आड़ में आतंकी नेटवर्क का नया चेहरा
यह मामला आतंकवाद के नए चेहरे को सामने लाता है — जहाँ अब हथियार उठाने वाले आतंकियों की जगह “प्रोफेशनल टेररिस्ट” तैयार किए जा रहे हैं, जो समाज में घुल-मिल कर साजिश रचते हैं।

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