MJ Vivek/ आजमगढ़। राज्यसभा चुनाव में मिली हार से समाजवादी खेमा अब अपने घर की किलेबंदी में लग गई है। ताजा वाकया यह है कि सपा का गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ के बसपा नेता पूर्व विधायक शाह आलम गुड्डू जमाली को अपने खेमे में कर लिया है। गुड्डू जमाली को आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा के हार का कारण माना जाता है। क्योंकि इस चुनाव में सपा को मात्र 8 हजार मतों से हार मिली थी। जबकि इसी सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस चुनाव से पहले हुए लोकसभा के आम चुनाव में वर्तमान सांसद दिनेश लाल निरहुआ को 2.5 लाख से ज्यादा मतों हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी। आगामी लोकसभा चुनाव में फिर अखिलेश यादव को उतरने की चर्चा तेज हो गई है। ऐसे में सपा अपनी तरफ मुस्लिम मतों को पूरी तरह मोड़ने के लिए जमाली को मजबूत स्तंभ मान रही है।
उद्योगपति शाह आलम गुड्डू जमाली वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार बसपा की टिकट पर मुबारकपुर से विधायक की दावेदारी पेश की थी। पूरे प्रदेश में सपा की लहर चल रही थी फिर भी गुड्डू जमाली ने जीत दर्ज की। इस विधानसभा चुनाव में जिले की 10 सीटों में से सपा ने 9 पर विजयी पताका लहराया था। साल 2017 के चुनाव में भी गुड्डू जमाली ने मुबारकपुर से बसपा की टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए। वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में गुड्डू जमाली ने बसपा छोड़कर एआईएमआईएम के टिकट पर तीसरी बार विधायक बनने के लिए मुबारकपुर से दावेदारी पेश की लेकिन समाजवादी पार्टी ने यहां जीत दर्ज की। गुड्डू जमाली हारने के बावजूद भी चर्चा में बने रहे।
2019 लोकसभा के आम चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा- बसपा गठबंधन के दम पर आजमगढ़ से बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब हो गए थे। लेकिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आने के बाद यहां से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में अपने भाई धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया। तमाम मुस्लिम नेताओं के होने के बावजूद समाजवादी खेमा मुस्लिम मतों को गुड्डू जमाली की तरफ जाने से रोक नहीं पाए और उन्हें मामूली वोटो से हार स्वीकार करना पड़ा।
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा राम लहर के रथ पर सवार होकर हर सीट को जीतने में जी-तोड़ मेहनत कर रही है। ऐसे में समाजवादी पार्टी मुस्लिम मतों में बिखराव नहीं चाहती और उन्हें पूर्वांचल में एक चेहरा की जरूरत है। क्योंकि पूर्वांचल में सपा के मुस्लिम चेहरा अबू आसिम आज़मी का हवाला में नाम आने के बाद उनकी सक्रियता ना के बराबर हो गई है। ऐसे में गुड्डू जमाली एक मजबूत स्तंभ साबित हो सकते हैं। स्वयं सपा प्रमुख ने भी स्वीकार है कि गुड्डू जमाली आए नहीं है बल्कि मैंने उन्हें खुद बुलाया है। अब गुड्डू जमाली सपा के लिए कितना मददगार साबित होते हैं यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।
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