UP में खत्म होगी पैरोकारी व्यवस्था... अब थानों से सीधे ई-मेल पर जाएगी केस की जानकारी!



प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में जमानत और अन्य आपराधिक मामलों में वर्षों से चली आ रही पैरोकार व्यवस्था अब समाप्त हो जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में पुलिस थानों से सरकारी वकीलों को केस डायरी व अन्य सूचनाएं अब व्यक्तिगत रूप से नहीं, बल्कि सीधे आधिकारिक ई-मेल के माध्यम से भेजी जाएंगी।
यह जानकारी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की ओर से जारी 17 दिसंबर 2025 के सर्कुलर में दी गई है, जिसे न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने रतवार सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड पर लिया। सर्कुलर के अनुसार अब जमानत और अन्य आपराधिक मामलों से संबंधित विवरण केवल संयुक्त निदेशक (अभियोजन) की आधिकारिक ई-मेल आईडी पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जाएगा।
कोर्ट ने इस तकनीकी सुधार के लिए एनआईसी दिल्ली के डीडीजी शशिकांत शर्मा और एनआईसी इलाहाबाद हाईकोर्ट के संयुक्त निदेशक मार्कंडेय श्रीवास्तव के योगदान की सराहना की। उन्होंने ई-समन और बीओएमएस (बेल ऑर्डर मैनेजमेंट सिस्टम) जैसे प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक लागू करने में अहम भूमिका निभाई है।
रतवार सिंह को सशर्त जमानत
यह आदेश रतवार सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में आया। याची पर सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज थाने में हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज है। हाईकोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए पाया कि चोटें सामान्य प्रकृति की हैं। याची 12 अक्टूबर 2025 से जेल में बंद था, जिसे अन्य तथ्यों को देखते हुए सशर्त जमानत दे दी गई।
अब जेल से रिहाई में नहीं होगी देरी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब जमानत आदेशों की भौतिक प्रतियों का इंतजार नहीं करना होगा। ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिए गए हैं कि वे रिहाई आदेश सीधे बीओएमएस के माध्यम से जेल अधीक्षक को भेजें। इसके साथ ही, हाईकोर्ट की वेबसाइट से डाउनलोड की गई कॉपी के आधार पर भी रिहाई संभव होगी, बशर्ते अधिवक्ता 15 दिनों के भीतर प्रमाणित प्रति दाखिल करने का हलफनामा दे।

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