मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। देश भर में बंटोगे तो कटोगे का ढंका बजने के बाद भी उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में आये परिणाम से गद गद भाजपा बंटोगे तो कटोगे पर एकमत्य नहीं है। शुक्रवार को 9 में 7 विधानसभा सीट पर जीत कर आने वाले विधायकों का अभिनंदन था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विपक्ष पर हमलावर होने के साथ यह भी स्वीकार किया कि संगठन के सुव्यवस्थित रणनीति के चलते यह विजय मिली है।उनके और प्रदेश अध्यक्ष तल्ख रिश्तों के बीच उनकी प्रसंसा का आशय संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह को जाता दिखा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह भली भांति जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के पूर्व महामंत्री संगठन सुनील बंसल के जाने के बाद सदस्यता का लक्ष्य पूरा करना यूपी भाजपा के नये महामंत्री संगठन धर्मपाल की पहली परीक्षा थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में अनुकूल चुनाव परिणाम न मिलने से सामान्य कार्यकर्ता से लेकर स्वयंभू छत्रप सबकी कुर्सी हिल गयी थी। सहयोगी से ज्यादा पूर्व संगठन मंत्री के ष्हरिराम नाईष् खबरी रोज दिल्ली तक अपडेट पहुंचाते थे। जिसके चलते सदस्यता अभियान के दौरान मीडिया में कुछ चुनिंदा लोगों को एक खबर लीक कराई गयी। जिसका आशय यह था कि उत्तर प्रदेश में सदस्यता की स्थित बहुत खराब है। सदस्यता का काम देख रहे गोविंद नारायण शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता व अन्य प्रमुख पदाधिकारियों के आईडी कोड से बनने वाले सदस्यों की फिसड्डी संख्या दर्शयी गयी। संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह ने इस चुनौती को स्वीकार किया। शुक्रवार को मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष व अन्य वक्ताओं ने अपने-अपने तरीके से बताया कि संगठन मंत्री ने कैसे-कैसे पन्ना प्रमुखों, बूथ अध्यक्षों से लेकर राज्य स्तरीय टीम को एक समन्वय बना कर मात्र साढ़े चार महीने में दो करोड़ चालीस लाख सदस्यता कराने का कीर्तिमान स्थापित किया। इसी बीच विधानसभा उपचुनाव की घोषणा हो गयी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे ष्बंटोगे तो कटोगेष् की सफलता का देश और दुनिया में भले ही डंका बज रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार में शामिल योगी के उपमुख्यमंत्री लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे को न सिर्फ तवज्जो देते देखे गये बल्कि दोनों उपमुख्यमंत्री ष्बंटोगे तो कटोगेष् के नारे से कटते नजर आये। पूरे चुनाव योगी के नारे से जितना असहज मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हुये, कुछ भाजपाई दिग्गज उससे ज्यादा परेशान रहे।यूपी भाजपा में भीतर बहुत विखराव हो चुका है। आरंभ में संगठन मंत्री धर्मपाल के लिये सबको एक साथ लाना कठिन लग रहा था, लेकिन जब उन्होंने अपना यह कहते हुये अपना शख्त तेवर दिखाना शुरू किया कि संगठन के प्रति गद्दारी करने वालों की खैर नहीं होगी। कुछ लोगों को समझ कर, कुछ को डांट कर और कुछ को बाहर का रास्ता दिखाने की बात कर सबको सदस्यता में लगाया। जिसका परिणाम भी सामने आया।उत्तर प्रदेश देख में लगभग ढाई करोड़ सदस्यता करवा पर प्रथम स्थान पर आया। संघ के कुछ बड़े नेता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कैबिनेट के कुछ विश्वसनीय की एक कंपनी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और विश्वहिंदू परिषद के शीर्ष नेताओं से सजी मोदी-शाह से सीधे जुड़ी दूसरी कंपनी, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और पार्टी से ज्यादा भरोसेमंद मान कर जिसके चंगुल में पड़ी यह जोड़ी दिल्ली के एक पत्रकार की जुगलबंदी कर तीसरी कंपनी बना कर सक्रिय है। ऐसे में पार्टी के अनुरूप परिणाम लेना धर्मपाल सिंह के लिये बड़ी चुनौती थी।
संघ नेतृत्व बंटोगे तो कटोगे के विरुद्ध कुछ सुनने को नहीं तैयार है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक हैं तो सेफ हैं का नारा देना योगी विरोधियों को अवसर दे दिया। जिसका परिणाम यह रहा कि इतनी बड़ी जीत के बाद शुक्रवार को नये विधायकों के अभिनंदन कार्यक्रम में सबने अलग-अलग धुन बजाई। मतैय्कता केवल एक थी कि तीनों कंपनी ने संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह का गुणगान गाकर किया। विधानसभा उपचुनाव में इतनी बड़ी सफलता के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बधाई के पात्र बने।भले ही प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मुख्यमंत्री से दूरी रखते हैं लेकिन वह भी यह सच्चाई नहीं टाल पाये कि योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व करिश्माई है।संगठन मंत्री के दिन-रात एक करने का परिणाम सबके सामने है। यह चुनाव परिणाम संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की दूसरी सफलता है। अब उनके सामने यूपी सरकार में बोझ बने मंत्री व प्रदेश संगठन में बोझ बन पदाधिकारियों के ऑपरेशन की तीसरी चुनौती है।
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