कुलपति ने सेवानिवृत्त आचार्याे को प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्रम् देकर किया सम्मानित
सम्मान समारोह में परिषद् के सचिव डॉ. प्रवेश कुमार सिहं ने कहा शिक्षक की पूँजी उसका मान-सम्मान होता है, जो अपने सेवाकाल मे वह अथक परिश्रम से प्राप्त करता है, सांस्कृतिक परिषद् ने शिक्षक के उन्हीं मूल्यों को जीवन्त बनाए रखने के लिए उनके सम्मान का निर्णय लिया है, उन्होंने कहा कि आचार्य चाणक्य ने मगध सम्राट धनानन्द की सभा में यह मर्म उद्घाटित किया था कि शिक्षक कभी साधारण नहीं होता. प्रलय व निर्माण दोनों उसकी गोद में पलते है। इसीलिए महाराजा सहेलदेव राजय विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक परिषद् ने उनका सम्मान करने का निर्णय लिया है, मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूँ कि सम्मान का सिलसिला अनवरत जारी रहेगा।
मुख्य अतिथि कुलपति ने शिक्षक को समाज का प्रकाश-पुंज बताया और कहा कि जिस प्रकार शिक्षा एक अनवरत् जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है, उसी प्रकार शिक्षा का संवाहक शिक्षाविद भी कभी सेवानिवृत्त नहीं होता, अपितुजीवन पर्यन्त अपने ज्ञान के आलोक से राष्ट्र और समाज को आलोकित करते हुए निरंतर ज्ञान का दान करता है। जिस राष्ट्र में शिक्षकों का सम्मान नहीं होता वह अपने पतन का मार्ग स्वयं निश्चित कर लेता है, ऐसे राष्ट्र के सृजनकर्ता को मै इस समारोह के माध्यम से नमन करता हूँ।
कालेज के प्रबन्धक आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव ने शिक्षा को जीवन की मुक्ति का मार्ग बताते हुए शिक्षकों के जीवन धर्म को पूजनीय बताया। कार्यक्रम का संचालन परिषद् की नामित सदस्य प्रो० गीता सिहं ने किया। समारोह में प्रो. अखिलेश डॉ. पंकज, डॉ. अतुल, डॉ. प्रद्युम्न, डॉ. शिवम्, डॉ. कौशल, डॉ. जे.पी., डॉ. दीपिका, इंजी, जितेन्द्र सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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