इसके अलावा अयोध्या से बनवाए गए पिस्टल के लाइसेंस में आपराधिक इतिहास छिपाया गया। एसटीएफ ने जब जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि दारुलशफा वाला जो पता है वह माफिया मुख्तार अंसारी का था। सूत्रों के मुताबिक यही आवास बाद में अब्बास अंसारी को अलॉट हो गया था। मुख्तार से कनेक्शन सामने आने के बाद शक और पुख्ता हो गया है कि साजिश के तहत लाइसेंस बनाकर ट्रांसफर कराया गया। आशंका ये भी कि इन हथियारों का आपराधिक घटनाओं में भी इस्तेमाल किया गया। इन पहलुओं पर जांच जारी है। एसटीएफ की जांच में सामने आया था कि जिस लाइसेंस नंबर पर संदीप का नाम लिखा था, वह नगालैंड निवासी एक शख्स का है। मतलब ऐसे ही फर्जी लाइसेंस पर नंबर नहीं डाला गया। संदीप सिंह का सीधा कनेक्शन नगालैंड से है।
कुछ साल पहले मुन्ना बजरंगी के करीबी रिश्तेदार के पास से भी राइफल का फर्जी लाइसेंस बरामद हुआ था। ये भी नगालैंड में बनाया गया था। दोनों मामलो में एक जैसी स्थिति है। सूत्रों के मुताबिक माफिया मुख्तार के गुर्गों के जरिये नगालैंड संपर्क बनाया गया। वही गिरोह फर्जी लाइसेंस बनवाने का खेल कर रहा है।एसटीएफ ने प्रकरण की रिपोर्ट लखनऊ व अयोध्या जिला प्रशासन को भेजी है, जिसमें संदीप सिंह के आपराधिक इतिहास व फर्जीवाड़े संबंधी जानकारी है। इसके आधार पर लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
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