पिता-पुत्री और मां की मौत के मामले में चार आरोपित-सुसाइड नोट ने खोली परिवार खत्म होने की कहानी


लखनऊ। शैलेंद्र ने बिना पत्नी और बेटी को कोई जानकारी दिए हुए खिचड़ी में जहर की पुड़िया मिला दी थी. खिचड़ी खाने के बाद शैलेंद्र ने अपने दोस्त जेपी को फोन कर इसकी जानकारी दी. जेपी की सूचना पर पड़ोस में रहने वाले किराना दुकानदार की बेटी रिंकी शैलेंद्र के घर पहुंची. रिंकी ने देखा कि शैलेंद्र और उनकी पत्नी के बीच झगड़ा हो रहा है. गौरतलब है कि जानकीपुरम के सुलतानपुर गांव में रहने वाले 45 वर्षीय जूनियर इंजीनियर शैलेंद्र कुमार ने 40 वर्षीय पत्नी गीता और 17 वर्षीय बेटी प्राची संग बुधवार सुबह जहर खा लिया. पड़ोसी उन्हें ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे, जहां तीनों की मौत हो गई.

शैलेंद्र के पड़ोस में रहने वाले अंगनू लाल ने बताया कि पड़ोसी की बेटी रिंकी, शैलेंद्र के घर पहुंची. उसने मुख्य गेट पर धक्का दिया तो वह अंदर से बंद था. रिंकी ने देखा कि गीता और शैलेंद्र के बीच झगड़ा हो रहा था. गीता कमरे से भागे का प्रयास कर रही थी. शैलेंद्र ने उसका हाथ पकड़ रखा था. क्योंकि गीता को जानकारी हो गई थी कि शैलेंद्र ने खिचड़ी में सबको जहर दे दिया है. गीता विरोध कर रही थी कि बेटी को जहर क्यों दे दिया. उसे तो अपनी जिंदगी जीने देते. इस पर शैलेंद्र ने कहा कि यह समाज बहुत गंदा है. हमारे और तुम्हारे न रहने के बाद बेटी क्या करेगी. इसकी देख रेख कौन करेगा. यह देख रिंकी ने शोर मचाया और उसने बाउंड्री वाल फांदकर अंदर जाने की कोशिश की. इस पर बाउंड्री वाल की ग्रिल से उसके पैर में चोट लग गई.

शोर सुनकर आस पड़ोस के लोग आ गए. इस बीच पुलिस भी पहुंची. आनन फानन लोग बाउंड्री वाल फांदकर अंदर पहुंचे. मुख्य गेट खोला गया. पुलिस और स्थानीय लोग कमरे में पहुंचे तब तक सभी उल्टी करते हुए पस्त हो चुके थे. तीनों को आनन फानन ट्रामा सेंटर ले जाया गया. सुसाइड नोट में लिखा चारों की अभद्रता से त्रस्त होकर अपने परिवार को खत्म करने को मजबूर हूं. तीन साल से इन चार लोगों ने हमारा जीना मुश्किल कर दिया है. अब इन सबकी अभद्रता के कारण जिया नहीं जाता. इसलिए हम परिवार समेत खुद को खत्म कर रहे हैं. हमारे न रहने पर इन सबको हमारे पूरे परिवार की मौत का जिम्मेदार माना जाए. यह शब्द शैलेंद्र के कमरे से बरामद सुसाइड नोट के हैं. इसके बाद आरोपित शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव, मोबीन खान, नरेंद्र प्रताप सिंह और संतोष शुक्ला सबके नाम और मोबाइल नंबर लिखे हैं. इसके आगे लिखा है कि किसने किस तरह से परेशान किया.

शैलेंद्र कुमार श्रीवास्वत ने 65 लाख रुपये लोन करवाने के नाम पर लिए। आज तक न तो लोन करवाया और न ही रुपये दिए. रुपयों की मांग पर धमकाते हैं और गाली देते हैं. जबकि मोबीन खान ने तीन साल पहले प्लाट का एग्रीमेंट कराया. 10 लाख रुपये दिए थे. इसका 20 फीसद ब्याज हर महीने लेते रहे. कुछ दिन से आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण ब्याज के रुपये नहीं दे सका तो गाली-गलौज कर धमकाने लगे. वहीं नरेंद्र प्रताप सिंह ने दो साल पहले 10 हजार स्क्वायर फिट के प्लाट का एग्रीमेंट कराया. पांच महीने का समय लिया था. इसके बाद भी प्लाट की रजिस्ट्री नहीं कराई। उल्टा हमसे 60 लाख रुपये की मांग कर रहे हैं. मना करने पर धमकी दे रहे हैं. अक्सर घर पर आकर नरेंद्र धमकी देते हैं. नरेंद्र के साथ संतोष शुक्ला अक्सर घर पर आकर गाली-गलौज करते हैं. पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी देते हैं. संतोष और नरेंद्र बीते रविवार को पांच से छह लोगों के साथ घर पर आ धमके. उन्होंने बाहर बुलाया. रुपयों की मांग की. इसके बाद पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी देने लगे. रोज रोज की धमकी से आहत था. आत्महत्या के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा.

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