आजमगढ़ बना भगवागढ़...कहीं अति आत्मविश्वास में तो नहीं हारी सपा...!


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आजमगढ़। लोकसभा उपचुनाव का परिणाम आ चुका है। इस बार अभिनेता से नेता बने भोजपुरी स्टार दिनेश लाल निरहुआ ने मुलायम परिवार के युवराज धमेन्द्र यादव को 8 हजार से ज्यादा मतों ने हरा दिया है। लोकसभा क्षेत्र के पांच विधान सभा मेहनगर, गोपालपुर, मुबारकपुर, सगड़ी व आजमगढ़ को पिछले विधान सभा चुनाव में के जीतने के बावजूद सपा को इस बार मुहं की खानी पड़ी है। इस सीट पर समाजवाद के पुरोधा मुलायम सिंह यादव ने मोदी लहर में जीत दर्ज की थी। उन्होंने भाजपा के रमाकांत यादव को पटकनी दी थी।

पिछले लोकसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेख यादव ने भाजपा प्रत्याशी वर्तमान विजेता दिनेश लाल यादव निरहुआ को बुरी तरह से हराया था। यह बात अलग है कि उस समय सपा-बसपा ने गठबंधन किया था। तब अखिलेश यादव को ढाई लाख से ज्यादा मतों से जीत मिली थी। पिछले विधान सभा में करहल से जीतने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। जिसके कारण उपचुनाव हुए। इस लोकसभा सीट पर सपा के लगातार दो बड़े नेताओं के जीत और पिछले विधान सभा चुनाव में क्षेत्र के पांच विधान सभा में जीत से स्थानीय सपाई गदगद थे कि इस बार भी आसानी से बड़ी जीत की उम्मीद थी।

लेकिन आकड़ों की गणित को इस बार आजमगढ़ की जनता से बदल दिया है। राजनैतिक जानकारों का मानना है कि इस बार के चुनाव में मुस्लिम मतों का बिखराव ने सपा को जीतने ही नहीं दिया बल्कि आजमगढ़ को भगवागढ़ बना दिया। स्थानीय सपा नेता का मानना है कि समाजवार्दी पार्टी को प्रत्याशी बदलने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा है। सपा ने पहले युवा दलित नेता सुशांत आनन्द को प्रत्याशी बनाया था। सुशांत जिले के बड़े दलित नेता पूर्व सांसद बलिहारी बाबू के बेटे है। उनके टिकट कटने पर दलितों में अच्छा संदेश नहीं गया। हांलाकि स्वयं उन्होंने दो जगह वोट लिस्ट में नाम होने पर टिकट वापस कर दिया था। तब अंतिम समय में धमेन्द्र यादव ने कमान संभाली थी।

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