शौच के बाद पानी छूने को लेकर 15 दिन में गई तीन जाने, फिर भी नहीं चेत रहे लोग।
अश्विनी कुमार सिंह
मधुबन/मऊ। एक के बाद एक पिछले दो सप्ताह में तीन अमूल्य जानें तालाब में शौच के बाद पानी छूने को लेकर जा चुकी है बावजूद इसके आज भी लोग अपने तथा अपने बच्चों को खुले में शौच करने या कराने में परहेज नहीं करा रहे है। जिससे आजकल आये दिन इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही है। समय से पहले देश के नौनिहाल अकारण ही मौत के मुंह मे समा रहे है। गत शुक्रवार को हुई घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। मृतक अपने घर का इकलौता चिराग था। पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। ऐसे में वह घर पूरी तरह सुना और उसके परिजनों के लिए काटने को दौड़ रहा है। ऐसे में खुले मे शौच कितना खतरनाक साबित हो रहा है इन घटनाओं से सबक लेना जरूरी है। गौरतलब है कि केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा गांव में करोड़ो रूपये की लागत से शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है जिससे लोगों को खुले में शौच ही नहीं गन्दगी से होने वाली बीमारियों और उससे असमय जाती हुई जानों को बचाई जा सके और घर के आसपास शुद्ध और प्रदूषण मुक्त वातावरण बना रहे। लेकिन कुछ लोग इसे गम्भीरता से लेने की बजाय अपने बच्चों या परिजनों को शौचालयों का प्रयोग कराने की बजाय बाहर भेज कर अमूल्य जान से खिलवाड़ कर रहे है। अभी गत 14 अक्टूबर को थाना क्षेत्र के बहादुरपुर निवासी अनमोल तिवारी(8)पुत्र आशुतोष तिवारी गांव में शौच के बाद पानी छूने गया लेकिन पोखरी में पैर फिसलने से वह पोखरी के गहरे पानी में चला गया जिससे उसकी दर्दनाक मौत हो गई। यही हाल शुक्रवार को बहोरनपुर में जवाहिर के साथ में हुआ,घर का एकमात्र चिराग शौच के बाद बगल के खेत मे गढ्ढे में भरे पानी से शौच धोने के लिए गया लेकिन उसका पैर फिसल गया। जिससे उसकी गढ्ढे में डूबने से मौत हो गयी। इसके पहले ग्रामसभा बैरियाडीह गांव में रतोय ताल के किनारे संदीप साहनी(5)नाम का एक किशोर शौच के बाद पानी छूने गया और उसका पैर पानी मे फिसल गया था जिससे उसकी ताल में डूबने से मौत हो गई। यह एक मात्र संयोग नहीं है। यह जानें बच सकती थी अगर इन लोगों ने खुले में शौच की बजाय शौचालय का प्रयोग किया होता। खुले में शौच से पर्यावरण के साथ प्रदूषण का भी खतरा बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती है।
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