बेटियों से ही होता भारतीय लोकपरंपरा व संस्कार का जन्मः अनिल गौड़



टीनी टोट्स स्कूल में देर शाम अरविंद चित्राश लिखित लोक नाट्य बिटिया की विदाई का अवलोकन

 आजमगढ़। मातृशक्तियां और बेटियों से ही भारतीय लोकपरंपरा और संस्कार का जन्म होता है। वही से शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता की गहरी भावना शैक्षिक प्रयास की नींव होती है उक्त विचार शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाली रैदोपुर स्थित बहुचर्चित टिनी टॉट्स स्कूल के मार्गदर्शक वरिष्ठ एडवोकेट अनिल गौड़ ने व्यक्त की। मौका था  शनिवार की देर शाम लोककला संरक्षक अरविंद चित्रांश द्वारा लिखित और निर्देशित प्रसिद्ध लोकनाट्य बिटिया की विदाई का अवलोकन। उन्होंने कहा कि हमारी शैक्षिक शिक्षा के साथ लोकशिक्षा, भारतीय लोकपरंपरा, संस्कार और सभ्यता का होना व्यक्ति के समग्र विकास के लिए बहुत ही जरूरी है, कला,संस्कृति, खेल, विशेष दिवस समारोह, सामुदायिक सेवा, पर्यावरण के प्रति सजग प्रहरी होना चाहिए।उन्होंने बताया कि ,शिक्षा के साथ-साथ हमे भारतीय परंपराओं और मूल्यों के भीतर नैतिक और सांस्कृतिक आयामों पर नए सिरे से जोर देना चाहिए। हम अपने प्रयासों को एक ऐसी परवरिश में परिणत होते देखना चाहते हैं जो हर माता-पिता अपने बच्चों के लिए सपना देखते हैं। इस अवसर पर दिल्ली से पधारे पारस गौड, स्कूल के प्रिंसिपल नितिन गौड़, अशोक गौड़, प्रख्यात गायक शरद तिवारी, व्यवसाई रमेश जायसवाल, दिनेश जायसवाल, चौक ब्रिटानिया के ओनर चुन्नू जी, राजू सिंह, भारत भारतीय स्कूल बदरका के प्रधानाचार्य चंद्रशेखर प्रजापति, पराग डेयरी विभाग के अधिकारी और नेशनल बैडमिंटन प्लेयर के.एन. श्रीवास्तव समेत बहुत लोग शामिल रहे।


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