लखनऊ। अपराधियों को सुधारने के लिए न्यायपालिका जेल की कड़ी सजा सुनाती है। जेल में कैदियों के रहने-खाने पीने संबंधी सभी नियम बहुत सख्त होते हैं। जिनका पालन करना हर कैदी के लिए अनिवार्य होता है। फिल्मों में आपने जरूर देखा होगा कि जेल के कैदियों की यूनिफार्म सफेद धारीदार होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिलता है, बल्कि असल जिंदगी में भी कैदियों को ऐसी ही पोशाक पहनने के लिए दी जाती है। लेकिन ऐसा करने के पीछे जरूर कुछ वजह रही होगी और कब से इसकी शुरुआत हुई है, चलिए जानें।
कैदियों को इस तरह के कपड़े पहनने देने की वजह पुरानी है और इतिहास से जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि अमेरिका में 18वीं शताब्दी में ऑर्बन सिस्टम की शुरुआत हुई थी। इसी के तहत जेलों में रहने वाले कैदियों के लिए कुछ नियम और तौर-तरीके बनाए गए थे। इसी के बाद से आधुनिक जेलें बनाई जानी शुरू की गई थी। इस बदलाव के बाद ही कैदियों को सफेद रंग की धारीधार यूनिफॉर्म पहनने के लिए दी जाती थी। इससे वे अलग भी दिखते थे और उनकी पहचान होती थी कि वे ही कैदी हैं।
वैसे तो कैदी बिना यूनिफॉर्म के भी थे, लेकिन फिर इस बात की जरूरत क्यों पड़ी कि उनके लिए ड्रेस कोड लागू किया जाए। उस दौर में ड्रेस कोड की बात को सार्वजनिक तौर पर भी इसलिए बताया गया, जिससे कि अगर कोई कैदी जेल से भाग जाता है तो उसे यूनिफॉर्म से पहचाना जा सके और जो भी उसे देखे वो पुलिस को सूचना देकर बता दे। इसके अलावा यह कैदियों में अनुशासन की भावना लाने के लिए भी था। कैदियों को अपनी यूनिफॉर्म की हिफाजत करनी होती थी और रोज उसे धोना होता था। जहां दुनिया रंगीन हो रही थी, वहीं कैदियों को ग्रे-ब्लैक स्ट्रिप्स को एक सिंबल ऑफ शेम की तरह से प्रस्तुत किया गया था।
जेलों में कैदियों के लिए कोई खास सुविधा नहीं रहती है, इसलिए उनकी सफेद यूनिफॉर्म गर्मी से उनका बचाव करती है। ऐसे में गर्मियों में कैदियों को ज्यादा परेशानी नहीं होती है।इसके अलावा एक वजह यह भी होती है कि सफेद रंग दूर से ही नजर आ जाता है। अगर रात के समय में भी कैदी कहीं पर हो तो वह सफेद रंग की वजह से पहचाना जाएगा। हालांकि पूरी दुनिया में ऐसा नहीं होता है, हर देश के लिए कैदियों का अपना अलग ड्रेस कोड तय किया जाता है। लेकिन भारत में पुराने वक्त ही यही सफेद ड्रेस पर धारीदार का चलन है।
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