उप्र में सरकारी अफसरों की मनमानी से नाराज मंत्री और विधायक...सीएम योगी ने शुरू किया ‘मंडलवार संवाद’!


लखनऊ। प्रदेश के कई जिलों में पिछले दिनों ऐसी घटनाएं सामने आईं जिनमें जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के बीच विवाद की स्थिति रही। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा अपने विभाग के कर्मचारियों के प्रति खुलेआम नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। कई शिकायतें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भी पहुंची। उन्होंने इसके निदान के लिए ‘मंडलवार संवाद’ शुरू किया है। योगी ने अपनी सरकार के कई मंत्रियों, भाजपा सांसदों और विधायकों की तरफ से अधिकारियों के असहयोग की शिकायत के बाद यह कदम उठाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। विधायकों और मंत्रियों ने अधिकारियों पर मनमानी करने और बात सुनने से इनकार जैसे आरोप लगाए हैं। दूसरी तरफ, अधिकारियों का कहना है कि जनप्रतिनिधि उन पर अनुचित दबाव बनाते हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को बिना डर के काम करने के लिए कहा है और जनप्रतिनिधियों से विकास कार्यों की निगरानी करने को कहा है। चीजें बदल रही हैं। योगी जी ने चीजों को सुलझा लिया है। उन्होंने हमारी बात सुनी और अधिकारियों को भी हमारी शिकायतों को सुनने का निर्देश दिया। हमारे जिले के डीएम और एसडीएम दोनों को बदल दिया गया है। हमें उम्मीद है कि जमीनी स्तर पर भी चीजें बदलेंगी।
सूत्रों का कहना है कि यूपी में विधायकों और अधिकारियों के बीच लगभग दो वर्षों से तनाव बढ़ रहा है। पंचायत चुनावों और उसके बाद 2027 के विधानसभा चुनावों के कारण अब विरोध के सुर ज्यादा सुनाई पड़ रहे हैं। एक भाजपा विधायक का कहना है कि अधिकारी प्रतिनिधियों या प्रोटोकॉल की परवाह किए बिना मनमाने ढंग से काम करते हैं। हम जनता के प्रति जवाबदेह हैं, लेकिन जब हम सड़क की मरम्मत, बिजली कनेक्शन की बहाली या भूमि रिकॉर्ड सुधार जैसे मुद्दों को उठाते हैं तो हम अक्सर खुद को असहाय पाते हैं। जब हम वरिष्ठ नेताओं या मंत्रियों से संपर्क करते हैं, तो वे भी हाथ खड़े कर देते हैं।
हाल ही में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने अपने कार्यालय के एक्स अकाउंट पर लिखा था- ‘अधिकारियों ने फोन उठाना पूरी तरह से बंद कर दिया है। स्थिति पहले से ही खराब थी, और अब यह और भी बदतर हो गई है।’ शर्मा ने अपनी बात रखने के लिए बिजली उपभोक्ता और विभाग के एक अधिकारी के बीच बातचीत का एक ऑडियो क्लिप अपलोड किया। इसी तरह पिछले हफ्ते, महिला एवं बाल कल्याण राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने कानपुर पुलिस के खिलाफ धरना दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनके समर्थकों को अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। शुक्ला कानपुर देहात के अकबरपुर-रानिया से विधायक हैं। इससे पहले, बुनियादी ढांचा और उद्योग मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी द्वारा मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र वायरल हो गया था। इसमें उन्होंने अपने विभाग के अधिकारियों पर दो वर्षों से अधिक समय से निर्देशों का पालन नहीं करने के साथ-साथ मनमाने ढंग से काम करने और कुछ के प्रति तरजीही व्यवहार दिखाने का आरोप लगाया था। नंदी से पहले, तकनीकी शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने एक पार्टी बैठक में आरोप लगाया था कि उनके विभाग के अधिकारी सरकारी धन का उपयोग अपना दल (एस) को बदनाम करने के लिए कर रहे हैं। अपना दल (एस) एनडीए की सहयोगी है।
दूसरी ओर, अधिकारियों ने आरोप लगाया कि जनप्रतिनिधि अनुचित दबाव डालते हैं। सचिवालय कर्मचारी संघ के एक सदस्य ने बताया- पदभार संभालने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से अधिकारियों से कहा कि वे किसी भी चीज से न डरें और बिना दबाव के काम करें। पर जनप्रतिघ्निधि अपना काम करवाने का आदी हो गए हैं। इसके लिए अनुचित दबाव डालते हैं। साथ ही, अधिकारियों का भी सम्मान किया जाना चाहिए। दोनों तरफ से संतुलन होना चाहिए और मुख्यमंत्री अब इसे सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल के जनसंवाद बैठकों में मुख्यमंत्री ने एनडीए के सांसदों और विधायकों से अपनी चिंताओं को साझा करने और उन परियोजनाओं का सुझाव देने का आग्रह किया जो उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण लगती हैं। साथ ही अधिकारियों को दिए गए सुझावों पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा। सीएम ने स्थानीय प्रतिनिधियों के नाम परियोजनाओं के लिए स्थापित नींव या उद्घाटन पट्टिकाओं पर प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए भी कहा। हाल ही में अपने क्षेत्र में पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालीं मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने कहा कि चीजें बदल रही हैं। योगी जी ने चीजों को सुलझा लिया है। उन्होंने हमारी बात सुनी और अधिकारियों को भी हमारी शिकायतों को सुनने का निर्देश दिया। हमारे जिले के डीएम और एसडीएम दोनों को बदल दिया गया है। हमें उम्मीद है कि जमीनी स्तर पर भी चीजें बदलेंगी।

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