भोपाल। अनाथ बच्चे को गोद लेकर उसे मां का प्यार देने वाली, उसे पाल पोस कर बड़ा करने वाली महिला को इसका दाम अपनी मौत से चुकाना पड़ा। श्योरपुर में गोद लिए बेटे दीपक पचौरी ने प्रॉपर्टी के लालच में आकर अपनी मां की हत्या कर दी थी। अपनी जान से ज्यादा प्यार करने वाली उस मां को दीपक पचौरी ने पहले छत से फेंका, फिर उसका गला दबाया और फिर बाथरूम में दफना दिया था। इस जघन्य अपराध के दोषी बेटे को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।
6 मई 2024 को हुए इस हत्याकांड में बुधवार (23 जुलाई) को विशेष न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि दोषी किसी भी तरह से दया का पात्र नहीं है। यह अपराध एक नृशंस प्रकृति का है। जिस मां ने एक बच्चे को अनाथाश्रम से गोद लेकर पाल-पोस कर बड़ा किया, उसी मां की संपत्ति के लिए हत्या करना केवल आपराधिक नहीं, बल्कि अमानवीय भी है।
कोर्ट ने कहा था, ‘जिसके ऊपर माता-पिता की रक्षा की जिम्मेदारी है, जिसे उनके बुढ़ापे का सहारा बनना है, अगर वही रक्षक भक्षक बन जाए, तो माता-पिता ऐसी संतान का पालन-पोषण क्यों करेंगे? अगर बाड़ ही फसल खाने लगे, तो किसान किस पर भरोसा करेगा? ऐसे तो कोई भी निःसंतान माता-पिता किसी अनाथ बच्चे को गोद नहीं लेंगे। इसका समाज पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।
रामायण से भगवान श्रीराम, श्रवण कुमार, कुरआन की आयतें, बाइबल और गुरुग्रंथ साहिब के संदेश पढ़ते हुए कोर्ट ने कहा कि हर धर्म में यही कहा गया है कि ईश्वर के साथ अपने माता-पिता को सम्मान देना ही एक अच्छी संतान की निशानी है। ये शिक्षाएं बच्चों को बुढ़ापे तक अपने माता-पिता की सेवा करने का आदेश देती हैं। इस मामले में लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव ने मध्य प्रदेश शासन की ओर से पैरवी की। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने दीपक पचौरी को धारा 302 के तहत मृत्युदंड और 1000 रुपये का जुर्माना सुनाया। धारा 201 के तहत 7 साल की सजा और 1000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया।
6 मई 2024 की सुबह उषा देवी तुलसी जी को जल चढ़ाने सीढ़ियां चढ़ रही थीं, तभी दीपक पचौरी ने उन्हें धक्का दे दिया। घायल मां को लोहे की रॉड से मारा और साड़ी से उनका गला घोंट दिया। शव को लाल कपड़े में लपेटकर घर के अंदर सीढ़ियों के नीचे बने बाथरूम में गड्ढा खोदकर दफना दिया। फिर ईंट से चुनाई कर दी। इसके बाद बाथरूम में कबाड़ा भर दिया। इसके दो दिन बाद आरोपी ने अपने मामा और रिश्तेदारों को बुलाया और कोतवाली थाने में गुमशुदगी दर्ज करा दी। पुलिस पूछताछ में उसकी बातों में विरोधाभास मिला। कड़ी पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। मृतक महिला उषा और उसके पति भुवनेंद्र पचौरी की कोई संतान नहीं थी। भुवनेंद्र वनकर्मी थे। उन्होंने ग्वालियर के एक अनाथालय से 3 साल के बच्चे को गोद लिया और उसका नाम दीपक रखा था। दंपती ने दीपक को खूब पढ़ाया-लिखाया, लेकिन उसकी नीयत उषा की प्रॉपर्टी और दौलत देखकर बिगड़ गई। पिता की मृत्यु के बाद मिले 16.85 लाख रुपये उसने शेयर बाजार में गंवा दिए। मां के खाते में जमा 32 लाख रुपये पाने के लालच में उसने हत्या की योजना बनाई थी।
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