वाटर प्यूरीफायर बनाने वाली कंपनी केंट आरओ सिस्टम्स आज एक भरोसेमंद नाम है। आज इसके पोर्टफोलियो में पंखे, वॉटर सॉफ्टनर, किचन अप्लायंसेस, एयर प्यूरीफायर, वैक्यूम क्लीनर से लेकर हेल्दी कुकवेयर और होम एंड हाइजीन समेत कई उत्पाद हैं। तमाम मुश्किलों के बावजूद कंपनी ने भारतीयों के बीच में एक अलग मुकाम हासिल किया है। अमेरिका समेत अन्य देशों में भी वह अपने उत्पादों के जरिये अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही है। कंपनी का फोकस रिसर्च और नवाचार के जरिये बाजार में ऐसे उत्पाद पेश करना है, जिससे लोगों को शुद्ध पानी मिलता रहे और बिजली की खपत कम हो। लोगों ने जिस तरह जागरूकता का परिचय देते हुए पुराने बल्ब को एलईडी से बदला, जिससे बिजली खर्च घटाने में मदद मिली, उसी प्रकार, पुराने पंखों को भी बदलने की दिशा में प्रयास जरूरी है। गर्मी शुरू हो गई है, जो साल-दर-साल बढ़ रही है। लोगों को ठंडक पहुंचाने के लिए केंट की क्या तैयारी है?
बिल्कुल...इस बार भी पूरी तैयारी है। बतौर कंपनी केंट का जोर हमेशा इस बात पर रहता है कि हम बाजार में ऐसे उत्पाद लाएं, जिससे लोगों को बचत हो और उन्हें गुणवत्तापूर्ण जीवन मिले। गर्मियों में लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए हम शुद्ध पानी पिलाना चाहते हैं और ठंडक के लिए पंखे की हवा भी खिला रहे हैं। इस साल हमने ऐसा पंखा लॉन्च किया है, जो अंदर से ह्यूमिडिटी बढ़ाता है। यानी अब आपको डेजर्ट कूलर की जरूरत नहीं पड़ेगी। देखिए, डेजर्ट कूलर में पानी की आवश्यकता पड़ती है और वह पीछे से कमरे में पानी भी फेंकता है, जिससे सामान गीले हो जाते हैं। हम जो एक्सएलएच1 पंखा लेकर आए हैं, उसमें ह्यूमिडिटी के लिए पानी की जरूरत नहीं होती। आपका सामान भी गीला नहीं होता है और कमरा भी ठंडा रहता है। कुल मिलाकर, हम दो ही चीजों पर काम करते हैं...शुद्ध पानी पिलाना और बिजली बचाना। शुद्ध पानी की बात कई बार हो चुकी है। इस बार पंखे की बात करूंगा, जिससे न सिर्फ लोगों को, बल्कि देश को भी भारी फायदा होगा।
इस देश में करीब 100 करोड़ पंखे हैं, जो पुरानी तकनीक पर आधारित हैं। इसमें प्रति पंखा 70 वॉट की बिजली खपत होती है। हम नई तकनीक पर आधारित बीएलडीसी (ब्रशलेस डायरेक्ट करेंट) पंखा लेकर आए हैं, जो सिर्फ 28 से 30 वॉट बिजली पर चलता है। यानी 65 फीसदी बिजली की बचत होती है। जिस तरह, पुराने बल्ब की जगह अब एलईडी बल्ब ने ले ली है, उसी प्रकार, अगर सारे पुराने पंखे बीएलडीसी तकनीक वाले पंखों से बदल दिए जाएं, तो देश को हर साल करीब दो लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
इसका एक अन्य पहलू भी है, जो मौजूदा और आने वाली पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है। वह है...जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन। वित्तीय बचत के अलावा इस बात पर भी विचार करना जरूरी है कि हम आने वाली पीढ़ी को कैसा वातावरण देना चाहते हैं। उसे बेहतर जीवन देने के लिए आवश्यक है कि हम बिजली बचाएं। इससे न सिर्फ तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के लिए भी फायदेमंद होगा। इसलिए, हमने फैसला किया कि हम जो भी पंखे बनाएंगे, वो नई तकनीक पर आधारित होगी और बिजली बचाएगी।
देश इस समय बहुत अच्छी स्थिति में है। पहले टैक्स और अब ब्याज दर के मोर्चे पर राहत मिलने से लोगों को बचत होगी। वे खर्च करेंगे, जिससे मांग बढ़ेगी। टैरिफ के बीच इससे अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलेगा।
मैं आपको वही इकनॉमिक्स बताना चाहता हूं। हमारे एक पंखे की कीमत करीब 2,500 रुपये है, जो बीएलडीसी यानी नई तकनीक पर आधारित है और कम बिजली खपत करती है। बाजार में पुराने जमाने के पंखे 1,500 रुपये में मिल जाएंगे। यानी केंट का पंखा खरीदने के लिए आपको 1,000 रुपये ज्यादा खर्च करने होंगे। लेकिन, आपके ये 1,000 रुपये एक साल में ही वसूल हो जाएंगे। इस तरह, एक पंखा अगर पांच साल भी चलता है, तो आपको 5,000 रुपये की बचत होगी। साथ ही, कम बिजली खपत कर आप जलवायु परिवर्तन की दिशा में भी योगदान देंगे।
ट्रंप प्रशासन ने भारत समेत अन्य देशों को 90 दिन के लिए जवाबी टैरिफ से राहत दी है, जबकि चीन पर शुल्क और बढ़ा दिया। चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया। मैं समझता हूं कि यह अमेरिका और चीन के बीच एक तरह का कोल्ड वॉर है। जहां तक असर का सवाल है, तो अभी इस संबंध में कुछ भी कहना मुशि्कल है। भारत के संदर्भ में देखें तो कुछ चुनौतियों के साथ टैरिफ हमारे लिए नए अवसरों के द्वार भी खोलेगा। सरकार की ओर से भी यही संदेश है कि आप निराश न हों। हौसला रखें। जहां तक केंट के कारोबार पर असर की बात है, तो अमेरिका में हमारा बिजनेस है। हम वहां के बाजार में उतरने के लिए तैयार हैं। हमारे एडवाइजर्स का भी कहना है कि आप माल भेजिए। टैरिफ का असर तो सभी पर पड़ेगा। लागत बढ़ेगी, पर आपको मार्जिन भी अवश्य मिलेगा।
0 Comments