आजमगढ़। पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव के अत्यंत करीबी रहे मुख्य वक्ता गोविंद यादव ने कहा कि शरद यादव एक राजनेता का नाम नहीं है बल्कि क्रांति और परिवर्तन का नाम रहा है। उन्ही के पदचिन्हों पर ही चलकर सही लोकतंत्र की स्थापना की जा सकती है। श्री यादव आज समाजवाद के अग्रदूत मंडल मसीहा शरद यादव के दूसरी श्रद्धांजलि सभा के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के अंधेरे को लेकर समाज चिंतित है। समाज उस रास्ते की खोज में है,जो अंधेरा फैल गया उसे एक नई रोशनी निकाल कर दे ताकि नया बदलाव दिखाई दे। पूंजीवाद का पूरी पार्लियामेंट पर कब्जा कर लिया है न्याय व्यवस्था को भी अपना प्रभाव दिखाना चाहती है। उन्होंने कहा कि समाजवादी नेता शरद यादव के पदचिन्हों पर चलकर बदलाव को लाया जा सकता है। शरद यादव के पिता कांग्रेसी थे, लेकिन शरद यादव के अंदर क्रांति और परिवर्तन की भूख थी जो पूरे राजनीतिक दिनों में दिखाई दी। आज की राजनीतिक दल को लोकतंत्र खत्म हो गया है, राजनीतिक दल अब एक कंपनी के रूप में काम कर रहे हैं। मंदिर और मस्जिद की खुदाई हो रही है ,तो देश की सभ्यता की खुदाई पर भी ध्यान देना चाहिए। देश के अंदर पिछले 30 सालों से आर्थिक नीति कारण सार्वजनिक संपत्तियों निजी क्षेत्र के हाथों में नीलाम हो रहे है। समाजवादी विचारक विजय नारायण ने कहा कि लोकतंत्र में लोगों की बातों को दबाया जा रहा है, उन्होंने कहा कि इस आवाज को सरकार जितना कुचलने की कोशिश करेगी ,उतने ही आंदोलन जन्म लेंगे अडानी के ऊपर अमेरिका में अपराधिक केश है, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको कितना भी बढ़ाने की कोशिश करें लेकिन वह बचा नहीं पाएंगे वक्त जरूर लगेगा लेकिन उनको अपराध की सजा मिलेगी। देश के सारे पूंजीपतियों को आरएसएस का संरक्षण प्राप्त है। इसका विरोध करने का साहस किसी राजनीतिक दल के अंदर नहीं है। आज कॉलेज के छात्र आंदोलन को दबाया जा रहा है। भाजपा सरकार को मौजूदा व्यवस्था से बदला नहीं जा सकता, केवल जन क्रांति के द्वारा ही इस सरकार को उखाड़ जा सकता है। कामरेड नेता जयप्रकाश राय ने कहा लोकतंत्र की यात्रा में समाजवादी व मार्क्सवादी नेता लाभ और सुख के लिए सभी बिक गए आते लोकतंत्र के साथ सपने साकार नहीं हो पा रहे हैं। शरद यादव ऐसे नेता नहीं थे। सत्ता में परिवर्तन के लिए समय लगता है, भारत की जनता भी उसी मिशन में चल रही है। लोकसभा के जिस संसदीय चुनाव में चार सौ पार के दावे किए जा रहे थे, वह 240 पर आ गया। ये साफ संकेत है। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है जनता इस बारे में सोच रही है। इस श्रद्धांजलि सभा में कई राजनीतिक दलों के वक्ताओं ने कहा कि शरद यादव ने कभी अपने सिद्धांतो विचारों से समझौता नहीं किया, मौजूदा भाजपा सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की। वक्त आने कहा कि अगर वह नहीं होते तो मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू नहीं होती। मंडल कमीशन के संघर्षों को भुलाया नहीं जा सकता। उनके संघर्षों की देन है कि आज सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों का स्तर ऊपर उठाया। गांव से लेकर संसद तक उनकी छवि बेदाग रही। पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक गरीबों मजलूमों के मसीहा थे। शरद यादव का आजमगढ़ से बहुत लगाव रहा। अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले नेताओं में वह अग्रिम पंक्ति के नेता थे वे किसी जाति के विरोधी नहीं थे, उन्होंने हमेशा पिछड़े, दलितों, गरीबों के लिए संघर्ष किया। शरद यादव के संघर्ष का बखान करने से कम नही चलेगा ,उनकी तरह संघर्ष करना होगा। लोकसभा व राज्यसभा मिलाकर 10 बार सांसद रहे, जिसमे 3 बार राज्यसभा में रहे। शरद यादव भारत के पहले ऐसे राजनेता रहे, जो तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा के सदस्य के लिए चुने गए थे। शरद यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे। बिंद्रा यादव ने शरद यादव पर गीत सुनाया। संबोधित करने वाले वक्ताओं में राम चन्दर यादव, रामकुमार यादव, कामरेड मोती यादव, दिनेश यादव, योगेंद्र यादव, राजनाथ, बुद्धिराम यादव, दयाराम यादव, अविनाश यादव, पतिराम यादव, चंद्रशेखर यादव, दीपचंद्र विशारद, भदोही से पधारे गुरू उपाध्यय, मोहम्मद बेलाल, जुल्फिकार बेग, हरिश्चंद्र पांडेय, सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव, ओंकार सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।
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