उपचुनाव से पहले एक-एक सीट पर ऐसे गणित सेट कर रहे हैं अखिलेश.. भाजपा में मची खलबली!


लखनऊ। प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाला उपचुनाव भाजपा और सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। सभी 10 सीटों पर क्लीन स्विप के लिए जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार दौरा कर रहे हैं, वहीं अब सपा मुखिया अखिलेश भी एक-एक सीट का समीकरण सेट करने में जुट गए हैं। उपचुनाव की सभी सीटों पर जीत के लिए अखिलेश बूथ की समीक्षा से लेकर सीट वाइज रणनीति तैयार कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि सपा किसी भी सूरत में लोकसभा में मिली बढ़त को गंवाना नहीं चाहती है।
यूपी में अक्टूबर-नवंबर में 10 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने हैं। जिन 10 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित है, 2022 में उनमें से 5 पर सपा, 3 पर बीजेपी, एक पर निषाद और एक पर आरएलडी को जीत मिली थी। जिन सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं, उन सीटों पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं। योगी पिछले 30 दिन में मिल्कीपुर का 2 दौरा कर चुके हैं। इसी तरह अंबेडकरनगर (जहां कटेहरी सीट है) में भी जून से लेकर अब तक योगी 3 बार आ चुके हैं। इसके अलावा खैर, गाजियाबाद, मीरापुर सीट पर भी योगी दौरा कर चुके हैं। योगी इन सीटों पर जाकर सरकार के कामकाज का फीडबैक और संगठन का हालचाल जान रहे हैं। इतना ही नहीं, इन सीटों का समीकरण साधने के लिए योगी रोजगार मेला भी लगा रहे हैं। रोजगार मेला में युवाओं को सरकार की तरफ से नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है।
वहीं 9 सितंबर (सोमवार) को अखिलेश यादव ने लखनऊ में सीसामऊ सीट की बूथवार समीक्षा की। इस समीक्षा में सीसामऊ के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी और बेटे भी शामिल हुए थे। अखिलेश ने बैठक में सभी नेताओं से कहा कि सीसामऊ सीट हमारा गढ़ रहा है और हम इस बार भी यहां मजबूती से लड़ेंगे। सीसामऊ सीट पर इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी ही चुनाव लड़ेंगी. एक मामले में सजायफ्ता होने की वजह से जून 2024 में इरफान की सदस्यता चली गई थी। वर्तमान में वे जेल में बंद हैं और उन पर कई गंभीर आरोप हैं।
इरफान की पत्नी को मैदान में उतारकर अखिलेश यहां का चुनाव इमोशनल मुद्दे पर लड़ना चाहते हैं। सीसामऊ विधानसभा में करीब 2 लाख 75 हजार मतदाता हैं। यहां सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं, जिनकी आबादी करीब 1 लाख 10 हजार के आसपास है। ब्राह्मण मतदाता इसके बाद दूसरे नंबर पर हैं. ब्राह्मणों की आबादी यहां 70 हजार के आसपास है। यहां दलित मतदाता भी एक्स फैक्टर हैं। इस समुदाय की आबादी सीसामऊ विधानसभा में करीब 60 हजार के आसपास है।
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर भी उपचुनाव होने हैं योगी की सरकार ने इस सीट को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी की तरफ से इस सीट के प्रभारी हैं। अब अखिलेश इस सीट पर जीत के लिए समीकरण तैयार कर रहे हैं। अखिलेश ने अगस्त के आखिर में उम्मीदवार तय करने के लिए अयोध्या के नेताओं की बैठक बुलाई थी। कहा जा रहा है कि इस बैठक में अखिलेश ने सभी दावेदारों से एक-एक कर बात की. वहीं अयोध्या के सभी नाराज नेताओं को भी सपा सुप्रीमो ने मनाया।
सबसे ज्यादा नाराजगी की खबर आनंद सेन को लेकर थी, लेकिन अखिलेश से मुलाकात के बाद वे भी मिल्कीपुर में मोर्चा संभाल रहे हैं। वहीं हाल ही में अयोध्या रेप की घटना से बैकफुट पर आए अखिलेश ने गुरुवार को जमीन घोटाले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी। कहा जा रहा है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस अयोध्या मुद्दे पर बीजेपी को बैकफुट पर धकेलने के लिए ही किया गया। क्योंकि, 2021 में जब सपा के ही पवन पांडेय ने इस मुद्दे को उठाया था, तब अखिलेश ने दूरी बना ली थी।
कटेहरी सीट की समीक्षा को लेकर अखिलेश यादव ने हाल ही में दो मीटिंग की है। एक मीटिंग कटेहरी के प्रभारी शिवपाल यादव के साथ जैनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट में जबकि दूसरी मीटिंग पार्टी दफ्तर में हुई। इस मीटिंग के बाद अखिलेश ने कटेहरी को जीतने के लिए पूर्व मंत्री शंखलाल मांझी को भी साध लिया। शंखलाल मांझी भी कटेहरी सीट से टिकट के दावेदार माने जा रहे थे। मांझी अखिलेश की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि लालजी वर्मा के नेतृत्व में ही इस सीट से सपा चुनाव लड़ेगी। उनके परिवार से जुड़े किसी सदस्य को कटेहरी से टिकट मिल सकता है।
अखिलेश यादव सुल्तानपुर में डकैती के आरोप में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए मंगेश यादव के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठा रहे हैं। सपा आने वाले दिनों में सदन से सड़क तक इस मुद्दे पर हमलावर रहेगी। अखिलेश का आरोप है कि जाति देखकर सरकार के अधिकारी लोगों को मरवा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस मुद्दे को तूल देकर सपा यादवलैंड की सीटों को साधने की कोशिश में है। यूपी की करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी सीट पर यादव मतदाताओं का सियासी दबदबा है। करहल तो यादवों का गढ़ कहा जाता है।
अखिलेश इसके अलावा कुंदरकी, गाजियाबाद और खैर सीट की भी वन टू वन समीक्षा कर चुके हैं। कुंदरकी सीट पर पिछली बार सपा को जीत मिली थी, जबकि खैर और गाजियाबाद सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी।शंखलाल मांझी भी कटेहरी सीट से टिकट के दावेदार माने जा रहे थे। मांझी अखिलेश की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि लालजी वर्मा के नेतृत्व में ही इस सीट से सपा चुनाव लड़ेगी। उनके परिवार से जुड़े किसी सदस्य को कटेहरी से टिकट मिल सकता है। अखिलेश इसके अलावा कुंदरकी, गाजियाबाद और खैर सीट की भी वन टू वन समीक्षा कर चुके हैं। कुंदरकी सीट पर पिछली बार सपा को जीत मिली थी, जबकि खैर और गाजियाबाद सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी।

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