देवर-भाभी का टिकट क्लियर, अखिलेश पर सस्पेंस बरकरार... तो क्या यहां से ठोकेंगे ताल?


लखनऊ।
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटी हैं। मंगलवार को समाजवादी पार्टी ने 16 प्रत्याशियों के नामों की लिस्ट जारी कर दी है। सपा की पहली सूची में देवर-भाभी का टिकट क्लियर हो गया है। डिंपल यादव मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। वहीं, अक्षय यादव फिरोजाबाद से चुनाव लड़ेंगे। मैनपुरी और फिरोजाबाद में सपा कार्यकर्ताओं ने जश्न भी मनाना शुरू कर दिया है। लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव के नाम पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। पार्टी सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव कन्नौज से चुनाव लड़ सकते हैं। बीते दिनों के आकड़ों पर नजर डाली जाए, तो अखिलेश कन्नौज के कई दौरे कर चुके हैं।

दरअसल मैनपुरी लोकसभा सीट सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का गढ़ मानी जाती थी। मुलायम सिंह के निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभालने की जिम्मेदारी अखिलेश यादव के कंधों पर है। नेताजी के निधन के बाद मैनपुरी में उपलोकसभा चुनाव हुए थे। पिता की विरासत को संभालने के लिए अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारा था। उपचुनाव में डिंपल ने बीजेपी के रघुराज शाक्य को हराया था। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के साथ ही चाचा-भतीजे के बीच चल रहे विवाद का अंत हो गया था। पूरा परिवार एक बार फिर से एकजुट हो गया था। अखिलेश और डिंपल चाचा शिवपाल को मनाने पहुंचे थे। मैनपुरी में जीत दर्ज करने के बाद शिवपाल सिंह यादव नेताजी की समाधी पर नमन करने पहुंचे थे। इसके बाद शिवपाल ने प्रसपा का सपा में विलय कर दिया था।

मैनपुरी लोकसभा सीट में जसवंत नगर विधानसभा सीट आती है। जसवंत नगर सीट से शिवपाल सिंह यादव बीते कई दशकों से विधायक हैं। यह सीट मुलायम सिंह की परिवारिक सीट मानी जाती है। इस सीट पर सबसे ज्यादा लोधी और शाक्य वोटरों की संख्या है। यदि मैनपुरी लोकसभा सीट के परिणामों के आकड़ों पर नजर डाली जाए, तो जब जसवंत नगर विधानसभ सीट की ईवीएम खुलते ही सपा बढ़त बना लेती है। शिवपाल सिंह यादव ने परिवारिक कलह के बाद प्रसपा का गठन किया था। उस वक्त पूर्व सांसद रघुराज शाक्य ने हनुमान की भूमिका निभाई थी। रघुशाक्य ने सपा का साथ छोड़कर शिवपाल से साथ खड़े थे। शिवपाल सिंह ने रघुराज शाक्य को प्रसपा में कानपुर-बुंदेलखंड का प्रभारी भी बनाया था। रघुराज शाक्य शिवपाल को अपना राजनीतिक गुरू भी मानते थे। लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 में रघुराज शाक्य ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। बीजेपी ने रघुराज शाक्य को मैनपुरी सीट से प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेला था। लेकिन चाचा-भतीजे के एक साथ आने से बीजेपी दांव उल्टा पड़ गया था।

इत्र नगरी कन्नौज को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना गया है। लेकिन बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज में कमल खिलाया था। बीजेपी के सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हराकर शानदार जीत दर्ज की थी। बीजेपी कन्नौज की तहर ही मैनपुरी में कमल खिलाकर सपा के गढ़ को भेदने की तैयारी कर रही है। वहीं, सपा ने भी कमर कस ली है। मैनपुरी लोकसभा सीट की कमान इस बार भी शिवपाल के हाथों में रहने वाली है। चुनावी रणनीति से लेकर प्रचार की भी जिम्मेदारी शिवपाल सिंह यादव के पास रहने वाली है। सपा ने फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर चचेरे भाई अक्षय यादव को मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव 2019 में अक्षय यादव की लड़ाई बीजेपी के डॉ चंद्र सेन जादोन के साथ ही चाचा शिवपाल सिंह यादव से भी थी। शिवपाल सिंह फिरोजाबाद से लोकसभा सभा चुनाव लड़े थे। इस त्रिकोणीय लड़ाई में बीजेपी के डॉ चंद्र सेन जादोन ने जीत दर्ज की थी। लेकिन अक्षय यादव बहुत ही कम अंतराल से हारे थे। बीजेपी के डॉ चंद्र सेन जादोन को 4,95,819 वोट मिले थे। वहीं, अक्षय यादव को 4,67,038 वोट मिले थे। शिवपाल सिंह ने 91,869 मत हासिल किए थे। यदि शिवपाल सिंह चुनाव नहीं लड़ते, तो अक्षय यादव की जीत पक्की थी। लोकसभा चुनाव 2024 में सपा फिरोजाबाद सीट पर अपना दावा कर रही है।

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