यूपी में योगी न आते तो क्या होता!



मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।जिन्होंने उत्तर प्रदेश में हुये 2005 का मऊ दंगा देखा है उसको याद कर आज भी सिहर उठते हैं।एक माह तक शहर जलता रहा।पहली बार दंगों के कारण ट्रेनों का संचालन रोकना पड़ा था। कर्फ्यू के दौरान मुख्तार अंसारी खुली जिप्सी में घूम रहा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव लखनऊ से सरपरस्ती दे रहे थे। जिसके कारण पुलिस बेबस बन कर मुख्तार का तांडव देख रही थी। गुंडा पसंद मुलायम सिंह प्रयागराज में स्थानीय माफिया अतीक अहमद के कुत्ते से हाथ मिला कर प्रशासन को संदेश दे रहे थे कि यूपी का सीएम मैं हूँ लेकिन इलाहाबाद में सिक्का अतीक अहमद का चलेगा।समाजवादी पार्टी के दूसरे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ। बहन की छेड़खानी रोकने पर वर्ग विशेष द्वारा कवाल में दो भाइयों की दिन-दहाड़े घेर कर हत्या कर दी जाती है। तब यह खबर फैली थी कि हत्यारोपित आरोपियों को छुड़ाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार के ताकतवर मंत्री ने लखनऊ से फोन करके आरोपियों को छुड़ाया है। इस घटना के प्रतिशोध में पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगा फैल गया था। लोगों को जान बचाने राहत शिविरों में जाना पड़ा था।मुख्यमंत्री सैफई महोत्सव के रंग-रंग कार्यक्रम में डूबे थे।रहा-सहा पलीता तब लग गया जब कथित आरोपियों को विशेष विमान से मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में बुला कर आओ भगत किया गया। अखिलेश के पूरे कार्यकाल में अराजकता चरम पर पहुंच गई थी। जिससे निजाद पाने के लिये जनता ने यूपी में तीसरे नंबर की पार्टी को सत्ता में बैठा दिया। योगी राज के दौरान उत्तर प्रदेश में खुफिया एजेंसियों ने लगातार गिरफ्तारी कर आतंकवाद का कमर तोड़ रहीं हैं।उसके बावजूद प्रदेश में एक के बाद एक जिहादी घटनाओं से दहशत बढ़ने लगा है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, न कोई कम्युनिस्ट पार्टी और न छुट-पुट पार्टियां पहले सपा सरकार में हुए मुस्लिम परस्ती के निर्णयों व पिछले कुछ वर्षों में बढ़े कट्टरपंथी घटनाओं की कभी आलोचना भी करने का साहस नहीं जुटा सके।

ताजा मामला 24 नवंबर को प्रयागराज में घटी घटना है। इंजीनियरिंग के छात्र ने जहां बस कंडेक्टर पर चॉपर से हमला करने के बाद जिहादी वीडियो जारी कर दहशत का संदेश दिया। हमले के बाद खुद का वीडियो जारी कर कट्टरपंथी लारेब हाशमी ने कहा, “वो मुसलमानों को गाली दे रहा था३मैंने उसे मारा है। वो बचेगा नहीं, मरेगा। लब्बैक या रसूल अल्लाह, जिसने हुजूर के खिलाफ बात कही है३हम उसे मार देंगे। ये हुकूमत मोदी की और योगी की नहीं है। ए मुसलमानों अपनी जान हुजूर के लिए कुर्बान कर दो३लाशों के ढेर लगा देंगे इंशाअल्लाह३अल्लाह हू अकबर३अल्लाह हू अकबर।ष् ताजा अपडेट यह है कि लारेब हाशमी यूट्यूब पर पूरी की पूरी रात जिहादी वीडियो देखता था। 8 महीने से वह कट्टरपंथ की पाठ पढ़ रहा था।पिछले दो माह से वह पाकिस्तानी कट्टरपंथी मौलाना ख़ादिम हुसैन रिजवी की सर्वाधिक तकरीर सुनता था। मौलाना रिजवी तहरीक-ए-लबबैक का संस्थापक था।

इसके पहले 25 अक्टूबर को बस्ती जनपद में परशुरामपुर थाना क्षेत्र के चौरी बाजार में जिहादी नारा लगा कर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की बड़ी कोशिश हुई। रात करीब दो देवी जागरण के दौरान मुस्लिम युवती मुस्कान नकाब पहनकर जागरण मंच पर चढ़ गई। दुर्गा प्रतिमा पर काला कपड़ा फेंक कर गायक से माइक छीन लिया। इसके बाद इस्लाम जिंदाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगी, जिससे पंडाल में अफरा तफरी मच गई। इससे माहौल खराब हो गया और देवी जागरण कार्यक्रम बंद कर दिया गया।इस घटना में पुलिस ने दो मुस्लिम महिलाओं सहित पांच को गिरफ्तार किया था। जबकि नौ लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था।जिसमें साहिबा, सहाबुद्दीन निशा, मोहम्मद शमी, मोहम्मद जाकिर अली उर्फ ईदू और सुग्गम अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय था।इस प्रकरण में मुख्य आरोपित युवती मुस्कान को नाबालिग बताया गया है।

इसके पूर्व 3 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ मंदिर के बाहर पुलिस रूटीन चेकिंग कर रही थी।तभी अहमद मुर्तजा अब्बासी नामक युवक ने तेज धारदार हथियार से पुलिस वालों पर हमला कर दिया। अब्बासी ने साल 2015 में आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी।घटना से पहले वह दो बड़ी कंपनियों में नौकरी कर चुका था और ऐप डेवलपर भी था। उसको लखनऊ की एनआईए कोर्ट ने दोषी ठहराया है और फांसी की सुनाई है।मुर्तजा पर यूएपीए के तहत मुकदमा चला था। जब उसका लैपटॉप खंगाला गया तो पता चला कि यह कट्टरपंथी बनने की ऑनलाइन ट्रेनिंग ले रहा था। वो खुद को धर्म के नाम पर कुर्बानी देने वाला समझने लगा था। वह नेपाल से कोयंबटूर और लुंबिनी भी गया था। उसके पास से कई बैंकों के एटीएम कार्ड और उर्दू में लिखा साहित्य भी बरामद हुआ था। मुर्तजा ने अपने अलग-अलग बैंक खातों से करीब साढ़े आठ लाख रुपये यूरोप, अमेरिका के देशों में आईएसआईएस संगठन के समर्थकों के माध्यम से आतंकी गतिविधियों के सहयोग के लिए भेजे थे। आरोपी मुर्तजा इंटरनेट के माध्यम से आधुनिक हथियारों जैसे- एके47 राइफल, ड4 कारबाईन, मिसाइल तकनीक आदि के आर्टिकल पढ़ता था, वीडियो भी देखता था।

इससे पहले 18 अक्टूबर 2019 को लखनऊ में हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की दिन दहाड़े कट्टरपंथियों द्वारा हत्या कर सनसनी फैला दी गई थी।कमलेश तिवारी के गर्दन पर पहले चाकुओं से 15 बार हमला किया गया, उसके बाद गोली मार दी गयी थी। इस हत्याकांड के दो आरोपी यूसुफ खान और हाशिम अली दोनों लखनऊ जेल में बंद हैं।इस मामले में 13 लोगों को आरोपित किया गया। अशफाक, मोइनुद्दीन, सैयद आसिम अली, मोहम्मद जाफर सादिक, पठान रशीद अहमद, फैजल मेंबर, मोहसिन सलीम शेख एवं यूसुफ खान, कैफी अली, मोहम्मद नावेद, रईस अहमद, मोहम्मद कामरान, मोहम्मद आसिफ रजा के विरुद्ध धारा 302, 120-बी, 34 201, 212, 216, 419, 420 भारतीय दंड संहिता एवं 66 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम तथा आयुध अधिनियम के तहत आरोप तय किये गये थे।

इस संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार अनिल प्रताप सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कानून के रक्षा के नाम पर एक तरफ मिर्जापुर, खटीमा, को खून से लाल करने में संकोच नहीं किया। दूसरी तरफ समाजवादी सरकारों ने खूंखार आतंकवादियों के मुकदमें वापस करने में जरा भी शर्मिंदगी नहीं महसूस किया। अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में हमारी बेटी उसका कल कार्यक्रम लागू किये जिसके तहत गैर हिन्दू बच्चियों को पढ़ाई के दौरान वजीफा और शादी का पैसा देने का प्रावधान किया। अखिलेश यादव की सरकार के निर्णय उनके सरकार द्वारा किये गये मुस्लिम परस्ती के निर्णयों के ज्वलंत उदाहरण बने।अखिलेश यादव ने सरकारी कोष से कब्रिस्तान की बाउंड्री बनवाने का जो पैसा आवंटित किया वह शमशान घाटों के नाम पर आवंटित धन से बहुत ज्यादा थे।मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के ऊपर आरोप लगा कि समाजवाद के नाम पर बाप-बेटे द्वारा हर जिले में एक मिनी हाजी मस्तान पैदा करने की कोशिश की गई। जिसका जवाब केवल और केवल योगी आदित्यनाथ ही हो सकते थे, हैं और रहेंगे। जहां सोशल मीडिया के नाम पर पढ़े लिखे मुस्लिम युवा आतंकवाद के झांसे में आ जा रहे हैं उसका कोई अभी तक स्थाई समाधान नहीं दिख रहा है। बस बार-बार मन यही विचार करता है कि यदि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री न होते तो क्या होता? योगी ने अपने प्रखर हिंदुत्ववादी निर्णयों से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के बहुसंख्यक वर्ग का विश्वास अर्जित किया है।

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