ओम प्रकाश राजभर ने इनके साथ गठबंधन की जताई इच्छा, कहा- ’अगर ऐसा हुआ तो वो...’


लखनऊ। सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर ने एक बार फिर विपक्षी एकता को लेकर बड़ा बयान दिया है. राजभर ने कहा, अगर मायावती, अखिलेश यादव, सोनिया गांधी, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव एक हो जाए तो हम भाजपा के खिलाफ उस गठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार हैं। अगर गैर भाजपाई गठबंधन में ये लोग हमारी जरूरत समझे तो 2 घंटे पहले हमें फोन करें कहां आना है, हम उन लोगों के पहुंचने से पहले पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा, अगर ऐसा होता है तो हम उस महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं। यही हमारी ख्वाहिश है। सत्ता एक साधन है, लेकिन वास्तव में अगर लड़ाई लड़नी है समाज की तो विपक्ष से ही लड़ी जा सकती है। सत्ता में तो आदमी मंत्री, विधायक, सांसद बन कर पंगु हो जाता है, बोल नहीं पाता। सब ओम प्रकाश राजभर नहीं हो पाएंगे। हमारी पहली प्राथमिकता बीजेपी के खिलाफ जो गोल बन रहा है उसमें जाने की है।

इस दौरान ओपी राजभर ने एक बार फिर अपनी बात दोहराई और कहा कि कोई पार्टी अछूत नहीं है। पीडीपी महबूबा मुफ्ती और भाजपा समझौता करके सरकार चला सकती है, सपा-बसपा में गठबंधन हो सकता है कोई नहीं मानता था लेकिन 2019 में हो गया। नीतीश कुमार, लालू यादव, भाजपा सबको देख लीजिए क्या-क्या हुआ। राजनीति में सब संभव है। एक बार गठजोड़ की तस्वीर साथ हो तब हम बताएंगे कहां जाना है। भाजपा के इंटरनल सर्वे में जो सामने आया कि अगर भाजपा के साथ सुभासपा का गठबंधन होता है तो पूर्वांचल में भाजपा को फायदा होगा. इस बात पर ओपी राजभर ने कहा कि यह सच्चाई है जब हम भाजपा साथ थे तो पूर्वांचल में अधिकतर सीट वो जीती, जब हम सपा साथ गए तो अधिकतर सीट भाजपा हार गई सपा जीत गई। पूर्वांचल में जाएंगे तो बस्ती, देवीपाटन, गोरखपुर, वाराणसी, आजमगढ़, फैजाबाद, विंध्याचल मंडल इनमें 28 लोकसभा सीट आती हैं। इन सभी में 50 हज़ार से लेकर 2 लाख वोट तक सुभासपा के पास है। यह बात अधिकारी से लेकर नेता तक सब जानते हैं।

महागठबंधन के पेंच को लेकर उन्होंने कहा कि हम यह देख रहे हैं कि ईडी और सीबीआई के डर से ना बसपा, सपा गोलबंद हो रही है और न ये दोनों कांग्रेस के साथ खड़े होने को तैयार हैं। जेल जाने का डर सता रहा है, अगर यह डर नहीं होता तो एक क्यों हो नहीं हो रहे है। जब सपा और बसपा दोनों दलित पिछड़ों के हित की बात करते हैं तो क्यों नहीं एक हो जाते। अगर भर्तियों में आरक्षण की गड़बड़ी होती तो उसके जिम्मेदार भाजपा नहीं बल्कि अखिलेश मायावती को मानते हैं, क्योंकि अगर ये लामबंद हो जाते, इकट्ठा हो जाते, कांग्रेस से गठबंधन कर लेते, नीतीश को साथ ले लेते तो ऐसा न होता। सपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के चुनाव की बात कीजिए मैं सपा साथ गठबंधन में था, लेकिन उन्होंने हमसे अपने प्रत्याशी के लिए वोट तक नहीं मांगा, जबकि दूसरी तरफ वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, सीएम योगी सबने हमसे वोट मांगा। यही विधान परिषद चुनाव में हुआ। अखिलेश यादव को तो वोट की जरूरत है नहीं क्योंकि वह जानते हैं कि हम हार जाएंगे। पहले ही रिजल्ट निकाल लेते हैं। हम तो बार-बार कह रहे थे कोई वोट मांगे तो सही, लेकिन अंतिम समय पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक सबने हमसे बात कर भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगा।

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