जुदाई से निकलीं जिंदगी जीने की दो राहें!
इसी तरह मेजी की सुजाता पाल का कहना था कि शादी के बाद जब मैं ससुराल गई तो कुछ दिन तक सबकुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में पति का व्यवहार बदल गया। वह मुझे यातनाएं देने लगे। रिश्ता न टूटने पाए, इसके लिए मैंने हर कोशिश की। पति किसी और के साथ रहना चाहते थे। सास, ननद के ताने, पति की पिटाई सबकुछ सहती गई, लेकिन जब उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया तो मजबूर होकर कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। भरण पोषण का वाद मैंने दाखिल किया था। मुझे 12 लाख रुपये भरण-पोषण के रूप में मिले हैं। इस रकम से अब मैं अपना गुजारा कर सकूंगी।
हंडिया के सुरेश मौर्य ने बताया कि करछना के पास वर्ष 2018 में बस के धक्के से मेरा एक्सीडेंट हो गया था। मेरी मोटरसाइकिल बुरी तरह टूट गई थी। हाथ-पैर में फ्रैक्चर हो गया। मैंने मोटर दुर्घटना प्रतिकर के लिए वाद दाखिल किया था। कोर्ट का चक्कर काटता रहा, लेकिन तारीखें बढ़ती जा रही थीं। अंततः लोक अदालत में मामला आने के बाद एक झटके में न्याय मिल गया। मुझे प्रतिकर के रूप में 2.80 लाख रुपये मिले। वर्षों से कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते हजारों लोगों के चेहरे पर रविवार को मुस्कान तैर गई। मौका था जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का। इस लोक अदालत में वर्षों पुराने मुकदमों को लेकर एडियां घिसते बड़ी संख्या में लोगों को न्याय मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
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