दर्दनाक: मांगने गए थे खुशियों की दुआ...आई मौत की खबर;


बरेली। जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र में हुए सड़क हादसे में चार लोगों की जान चली गई। हादसे की मुख्य वजह फिलहाल तेज रफ्तार और क्षमता से ज्यादा सवारियां बाइक पर बैठना पुष्ट हो रही है जिसकी वजह से अनियंत्रित वाहन पर काबू मुश्किल हो गया। सातों लोगों में किसी के पास हेलमेट नहीं था। यातायात नियमों का पालन न करने की वजह से हादसे और इनमें मौतों का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। पीलीभीत जिले की सीमा पर हुआ यह हादसा साफतौर पर नियमों की अनदेखी की वजह से ही हुआ। यहां पीलीभीत के धर्मस्थल से मन्नत मांगकर लौट रहे जाकिर और उनके परिवार के सदस्यों के लिए यह हादसा सबसे ज्यादा दुखदायी साबित हुआ।

एक बाइक पर बड़े और बच्चों समेत पांच लोग सवार थे। सामने से बाइक पर आ रहे अर्जुन से इनकी बाइक भिड़ी। घटनास्थल पर मौजूद लोग बताते हैं कि बाइकों की स्पीड तेज थी। अर्जुन ने तो कुछ संभलने की कोशिश की पर जाकिर की बाइक अनियंत्रित हो गई। इस बीच अर्जुन के पीछे से आ रहा बड़ा वाहन इन्हें रौंदकर निकल गया और इनकी बाइकों में अजयप्रिय की तेज रफ्तार बाइक भिड़ गई। अर्जुन और अजयप्रिय भी हेलमेट नहीं लगाए थे। रफ्तार इतनी तेज थी कि शुरू में दोनों बाइक सवार सिर के बल सड़क पर गिरे थे। जबकि तीसरी बाइक पर बैठने वाले अजयप्रिय के पीठ और पैरों में चोटें आईं।

धौरेरा के पास हुए सड़क हादसे में मरने वाला अर्जुन पीलीभीत के मोहल्ला गौहनिया का निवासी था। भाई की शादी से लौटते वक्त उसके साथ ये घटना हो गई। 20 साल का अर्जुन जयपुर में मजदूरी करता था। 20 फरवरी को अपने भाई होशियार सिंह की शादी में शामिल होने आया था। सोमवार को बरेली के मुड़िया अहमद नगर में समाजसेवी रमेश गंगवार ने 251 कन्याओं की शादी कराई थी। इसमें अर्जुन के भाई होशियार सिंह भी दूल्हा बने थे। शादी की दावत खाकर अर्जुन बाइक से घर लौट रहा था तभी हादसा हो गया। उसकी मौत की जानकारी मिलते ही परिजन पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंच गए। शादी के घर में खुशियों की जगह मातम में बदल गईं।

सड़क हादसे में बेटे बहू और नाती की मौत की खबर सुनकर मोहम्मद उमर और उनकी पत्नी शमीम बानो पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत की खबर मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। जिसने भी सुना वह उनके घर की ओर दौड़ता चला आया। साठ साल के मोहम्मद उमर रोते हुए कह रहे थे कि मेरा तो परिवार ही खत्म हो गया। मेरे बुढ़ापे का सहारा ही कुदरत ने छीन लिया। मृतक जाकिर की मां शमीम बानो का बुरा हाल था। परिजन उन्हें दिलासा दे रहे थे। वह कह रही थीं कि बहू-नाती और बेटी के साथ जाकिर दरगाह पर खुशियों की दुआ मांगने गया था। हमें क्या पता था कि मनहूस खबर मिलेगी। अब हम किसके सहारे जिएंगे। जो भी जाकिर के घर पहुंचा उसकी आंखें नम होती चली गईं।

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