दूरियां हर जख्म पर लगा देती हैं मरहम...हमसफर


आजमगढ़। जिले के चर्चित शिक्षक मनीष चौबे की लिखी चंद पंक्ति इन दिनों तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। आइए पढ़े इन लाइनों को...


दूरियां हर जख्म पर मरहम लगा देती है,
कभी हमें हंसाती तों,
कभी मनतन्द्रा के दामन में आकर रूला देती है,
जीवन के हर दहलीज पर अफसाना दें जाती है,
अफसाना के हर अल्फाज में अपना पैगाम दे जाती है,


दूरियां है भौतिकता में वियोग,
पर भौतिकता में ही देती है संयोग,
मनतन्द्रा के दामन में अपनों से मिला देती है,
दूरियां हर जख्म पर मरहम लगा देती है,
वर्तमान के गिले-शिकवा मिटा देती है
भविष्य के आइने में कल को
कल्पना से सजा देती हैं।
दूरियां हर जख्म पर मरहम...


कहती है करो ऐसा व्यवहार,
हम न आए आपके कभी घर-द्वार,
हम दिखलाएंगे सफलता का द्वार,
रूह की गहराई में अपनों की उल्फत पिरों देती है,
दूरियां हर जख्म पर मरहम लगा देती है,
कभी रूलाती तो कभी हंसा देती है।

...मनीष चौबे हमसफर

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