2.5 करोड़ की एक काल, जी हां, जानिए यूपी पुलिस की अनोखी खबर...


आगरा। ताजनगरी में तीन पहले 40 जगहो पर स्पार्ट पोल खड़ा करके इमरजेंसी काल बाक्स ईसीबी लगाए गए. इनका उद्देश्य वैसे तो आपात स्थिति में लोगों को फौरन सुरक्षा और सहायता उपलब्ध कराना था, लेकिन अब ये पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है. दरअसल, 2019 में अब तक केवल तीन बार ही ऐसा हुआ जब वाकई किसी ने मदद मांगने के लिए इसका उपयोग किया हो, जबकि तीन हजार से ज्यादा बार बेवजह के काल आए. ये सिलसिला अभी भी जारी है.

आपातकाल में नागरिकों को पुलिस, अस्पताल या अन्य कोई सहायता उपलब्ध कराने के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत पैनिक बटन की सुविधा मुहैया कराई गई है लेकिन पैनिक बटन के यह पैनल शोपीस बनकर रह गए हैं. आधे से अधिक तो खराब पड़े है जो काम कर रहे है उन पर या तो बच्चे शरारत करते हैं या फिर उनसे काल रिसीव नहीं होती है. पिछले करीब तीन साल में इन पर महज तीन काल ऐसी रिकार्ड की गई जिनसें संपर्क कर उन्हें मदद दिलाई गई. ऐसे में सात करोड़ में लगे ये बटन अब पैनिक करने लगे हैं.

कभी कोई सिरफिरा ईसीबी का पैनिक बटन दबाकर कैमरे के सामने खड़ा हो जाता है तो कभी आते-जाते बच्चे बटन दबाकर भाग जाते हैं. कुछेक बार तो इमरजेंसी केस मानकर कंटोल कमांड सेंटर से लोकल थाने की टीम मौके पर भी भेजा गया, लेकिन पहुंचने के बाद सबकुछ सामान्य मिला. कानपुर में 3 साल पहले सात करोड़ में 50 पैनिक बटन लगे. 3 साल में केवल तीन काल आई. तीनों ने जिज्ञासावश प्रयोग किया. 16 बटन महीनों से खराब पड़े हैं. गोरखपुर के 21 चौराहों पर लगे पैनिक बटन से रोज औसतन 10 काल आती हैं.

आगरा स्मार्ट सिटी के चीफ डाटा आपरेटर सौरभ कुमार के मुताबिक, जुलाई में 700, अगस्त में 1077 और नवंबर में 248 काल रिकार्ड की गई है, सितंबर और अक्टूबर का कोई डाटा रिकार्ड नहीं उपलब्ध है, शार्ट सर्किट से बारिश के दौरान भी ये बटन खूब बजे. लेकिन इनमें 99 प्रतिशत काल या तो शरारत थी या फिर किसी ने अनजाने में बटन दबा दिया था.

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