जिसे मान लिया था मृत, वह 72 साल बाद मिली जिंदा-जाने क्या है अरबाइन की दिलचस्प कहानी


अमरोहा। बचपन की धुंधली याद व 72 साल का लंबा अरसा. उस समय अरबाइन की उम्र लगभग आठ साल रही होगी. यह बच्ची शाम के समय घर से दूध लेने निकली थी. पीछे से मां जैनब तलाश करते हुए पहुंची तो दोनों को एक महिला बहला कर अपने साथ दिल्ली ले आई थी. स्वजन ने काफी तलाश किया था, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. मां-बेटी को स्वजन ने मृत मान लिया था. परंतु वह जिंदा थीं और हरियाणा के मेवात में भरे पूरे परिवार के साथ रह रही थीं. समय ने करवट बदली तो अब वृद्ध हो चुकी अरबाइन को अपने मिल गए. अमरोहा में रह रहे उनके भतीजों व अरबाइन व उनके बेटों की मुलाकात हो गई. एक दूसरे को देख कर गले मिलकर खूब रोई, पुरानी बातें साझा कीं. बिछड़े रिश्तों के मिलन की यह दिलचस्प कहानी उत्तर प्रदेश के अमरोहा और हरियाणा के मेवात जिले से जुड़ी है.

अमरोहा के मुहल्ला मजापोता निवासी शफीक हसन ने लगभग 80 साल पहले नादिका खातून व जैनब से शादी की थीं. नादिका खातून सैयद हसन की मां बनीं तो जैनब ने अरबाइन व अली जाफर को जन्म दिया. अली जाफर की मौत हो गई थी. इसी दौरान जैनब खातून अपनी आठ साल की बेटी अरबाइन के साथ लगभग 72 बरस पहले किसी महिला के बहकावे में आकर घर से लापता हो गई थीं. काफी तलाश करने के बाद भी मां-बेटी का सुराग नहीं मिला था. स्वनज ने दोनों को मृत मान लिया था. इस दौरान जैनब की भी दिल्ली में किसी स्थान पर मौत हो गई तथा मासूम बेटी अरबाइन भटकते हुए हरियाणा के मेवात में पहुंच गई थी. वहां एक मुस्लिम परिवार में परवरिश हुई तो शादी भी मेवात जिले के गांव सिरौली निवासी कल्लू के साथ हो गई.

बचपन में लापता हुई अरबाइन को केवल अपने शहर का नाम अमरोहा याद होने के साथ ही इतना पता था कि उनके पिता का नाम शफीक तो सौतेले भाई का नाम सैयद हसन है. घर में ईमली का पेड़ व इमामबाड़ा था. पास में ही सक्कों के घर थे. अब अरबाइन नाती-पौतों वाली हैं तथा उनकी उम्र भी 75 बरस के करीब है. बड़ी बेटी की शादी राजस्थान के हुजरा कस्बा में हुई हैं. उनका धेवता मोहम्मद अरशद ट्रक चालक है. अरशद की दोस्ती अमरोहा के गांव धनौरी अहीर निवासी ट्रक चालक ताहिर से है. 15 दिन पहले ताहिर दोस्त अरशद के घर ही था. वहां पर अरबाइन भी मौजूद थीं. जिक्र हुआ तो वृद्धा अरबाइन ने अमरोहा का जिक्र किया. ताहिर कहानी सुन कर चौक गए। उन्होंने अमरोहा आकर अपने भाई शाहआलम से जिक्र किया. शाहआलम ने मुहल्ला मुल्लाना निवासी वाजिद नकवी को दास्तां सुनाई तो वह अरबाइन के स्वजन की तलाश में जुट गए.

गुजरी निवास चंदन नकवी की मदद से चार दिन में मुहल्ला मजापोता में अरबाइन के सौतेले भाई सैयद हसन के बेटे नायाब हसन, शानदार हसन व महताब को तलाश कर लिया. गुरुवार को मोबाइल काल व वी़डियो काल के माध्यम से अरबाइन व नायाब हसन की बात कराई. पुरानी बातों का जिक्र हुआ तो भावुक हो गए. गुरुवार को चंदन नकवी व वाजिद नकवी ने वीडियो काल के माध्यम से अरबाइन व उनके भतीजे नायाब हसन की बात कराई थी. चूंकि नायाब हसन का एक मकान दिल्ली के शाहदरा में भी है. लिहाजा दोनों परिवारों को दिल्ली में मिलना तय हुआ. शुक्रवार दोपहर दोनों परिवार दिल्ली में एक दूसरे से मिले. भतीजों को देख कर अरबाइन भावुक हो गईं तथा गले मिलकर रोई. उनके बीच पुरानी बातें साझा हुई. पुराने फोटो दिखाए तो उस दौर के कई किस्से एक दूसरे से साझा किए. ऐसा नहीं है कि अरबाइन ने अपनों की तलाश नहीं की थी. बचपन की धुंधली यादों को लेकर वह शादी के बाद पति कल्लू के साथ दो बार अमरोहा आई थीं. उन्हें मुहल्ले का नाम याद नहीं था, दो दिन यहां रुक कर निराश होकर मेवात लौटना पड़ा था. अब अपने मिल गए हैं. वह जल्दी ही अमरोहा आएंगी.

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