आजमगढ़ में एक ऐसा गांव जहां तीन दशकों से नहीं हुई कुर्बानी-जानिए क्या है पूरा मामला


आजमगढ़। मुबारकपुर थाना क्षेत्र के लोहरा गांव जनपद का ऐसा गांव जहां तीन दशकों से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कुर्बानी नहीं हुई। इस बार भी बकरीद पर कुर्बानी की अनुमति नहीं मिली। पूरा गांव शनिवार की शाम से ही पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। सीओ सदर सौम्या सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने घर-घर जाकर जानवरों की सघन तलाशी ली। दो दर्जन से अधिक पुलिस व महिला पुलिस की दो टीमें गांव में लगा गया है।

यहां पर कुर्बानी न हो इसके लिए प्रशासन शख्त पहरा रहता है। लोहरा गांव साल भर हिन्दू मुस्लिम सभी मिलकर एक साथ रहते हैं। लेकिन जैसे ही बकरीद का पर्व आता है। यहां कुर्बानी को लेकर दोनों समुदाय के लोगों में दरार हो जाती है। यहां पर कुर्बानी पिछले 1990 से लेकर आजतक प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। यहां के मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद की नमाज पुलिस के कड़े पहरे में अदा करते हैं। बकरीद की नमाज अदा करने के बाद कुर्बानी पास पड़ोस के गांव करते हैं।

पुलिस के अनुसार, 1989 में लोहरा गांव में एक हिन्दू के यहां बारात आई थी। शादी के लिए माड़ो ( जहां शादी के कार्यक्रम होता है) सजाया गया था। उधर कुर्बानी के दौरान छिटक कर किसी तरह से ब्लड माड़ो में पहुंच गया। जिसको लेकर दो समुदायों में विवाद हुआ। इस विवाद में दोनों पक्षों के लोगों की हत्या भी हुई। तब से कोर्ट ने इस गांव में कुर्बानी की अनुमति नहीं दी।

सीओ सदर सौम्या सिंह ने बताया कि कानून व्यवस्था के पालन के लिए लोहरा गांव में डेढ़ प्लाटून पीएसी, 10 उप निरीक्षक, 55 हेड कांस्टेबल 18 महिला सिपाही, फयर सर्विस की टीमें लगाई गई हैं। इस अवसर पर थानाध्यक्ष योगेंद्र बहादुर सिंह, लोहरा चौकी इंचार्ज अश्वनी मिश्र, हौशिला प्रसाद सिंह सहित राजस्व टीम में कानूनगों कैलाश यादव, विनय सिंह, लेखपाल संदीप मौर्या, आनन्द मौर्य, आसिफ जमाल, पंकज सिंह आदि उपस्थित रहे।

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