आजमगढ़ः बाहुबली सपा विधायक को जेल नहीं मिली बैरकः अब 14 दिन जेल के इस जगह रहेंगे बंद


आजमगढ़।
जनपद में जिस बाहुबली विधायक रमाकांत यादव की कभी तूती इस कदर बोलती थी कि एक इशारे पर बाहुबली के गुर्गों को जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिला करती थी, आज हालत यह हो गई कि खुद विधायक रमाकांत यादव को बैरक नसीब नहीं हो पाया। आजमगढ़ की फूलपुर सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक रमाकांत यादव को जान से मारने की नीयत से हमला करने के 24 साल पुराने एक मामले में सोमवार को न्यायालय ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। तमाम हथकंडे अपनाने के बाद भी बाहुबली विधायक रमाकांत यादव को नहीं बैरक नहीं मिली. अब सपा के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव 14 दिनों तक जेल में बने क्वारंटाइन में ही रहेंगे।

दरअसल, सपा विधायक रमाकांत यादव ने सोमवार को न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था। रमाकांत यादव के अधिवक्ता आद्या शंकर दुबे ने बताया कि 17 फरवरी 1998 को आजमगढ़ लोकसभा सीट पर चुनाव के दौरान सपा उम्मीदवार रमाकांत यादव और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अकबर अहमद डंपी और उनके समर्थकों के बीच फूलपुर थाना क्षेत्र के अंबारी चौक में विवाद हुआ और फिर गोलीबारी हुई थी। हालांकि इस घटना में किसी को गोली नहीं लगी थी। तब इस मामले में फूलपुर थाने के दारोगा वेद प्रकाश सिंह ने रमाकांत यादव तथा अकबर अहमद डंपी समेत कई लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद अक्टूबर 1998 में रमाकांत यादव और डंपी समेत 79 लोगों के विरुद्ध अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था।

दुबे ने बताया कि रमाकांत यादव की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। दिसंबर 2021 में उच्च न्यायालय ने याचिका निस्तारित करते हुए यादव समेत सभी आरोपियों को न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि उस वक्त विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रमाकांत यादव ने आत्मसमर्पण नहीं किया था, इस पर एमपी-एमएलए अदालत ने सभी आरोपियों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था। सोमवार को रमाकांत यादव ने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके अलावा चक्का जाम करने के छह वर्ष पुराने मामले में भी रमाकांत यादव ने इसी अदालत में सोमवार को ही आत्मसमर्पण किया।

विगत 2016 में रोड जाम व तोड़फोड़ के मामले में बाहुबली विधायक रमाकांत यादव के खिलाफ वारंट जारी हुआ था। 307 के मामले में बाहुबली रमाकांत यादव ने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर लिया था। स्टे आर्डर की अवधि समाप्त होने की बाहुबली रमाकांत यादव और उनके अधिवक्ता को जानकारी नहीं थी, जिसकी वजह से विपक्ष के अधिवक्ता ने फायदा उठाया और कोर्ट के सामने दलील रख जेल भिजवाया।

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