आजमगढ़ की जीतः 12वें राउंड तक पिछड़ने बाद निरहुआ ने पलटी बाजी-तोड़ा दो दशक पुराना रिकार्ड!


आजमगढ़। लोकसभा उपचुनाव का परिणाम ने इस बार दो दशक पुराना इतिहास बदल लिया है। आमतौर यहां वहीं दल चुनाव में विजयी होता रहा है जो दल सत्ता में न हो। लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल निरहुआ ने यह मित्था भी तोड़ दिया है। रविवार को हुई मतगणना में सुबह एक राउंड को छोड़ दें तो लगातार 12 वें राउंड तक धर्मेंद्र यादव से निरहुआ पीछे चल रहे थे। इस बीच सपा प्रत्याशी उत्साह से लबरेज दिखे। अपनी जीत के प्रति आश्वस्त रहे। बाहर निकलते हुए मीडिया से कहा कि हम हर विधानसभा में आगे चल रहे हैं। जीत हमारी निश्चित है।

लेकिन 12 चक्रों के बाद निरहुआ जब आगे निकले तो फिर अंत तक बढ़ बनाए रहे। इस चुनाव मे उन्हें 34.39 प्रतिशत मत मिले। जबकि सपा को 33.44 प्रतिशत मत मिले। वहीं बसपा को 29.27 मतों से ही संतोष करना पड़ा। खास ये है कि इस चुनाव में भाजपा को डाकमत पत्रों में बढ़त मिली। कुल 700 डाक मतों में से 336 वोट भाजपा को मिले जबकि सपा को 252 व बसपा को 104 मत मिले। इस लोकसभा चुनाव में खास बात और रही कि इस बार यहां के वोटरों ने सत्तापक्ष के साथ जाना मुनासिब समझा। उनके मन में रहा कि इस बार विकास चाहिए। केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार होने से जिले को लाभ मिल सकता है। जबकि दो दशकों के हुए लोकसभा चुनाव में एक अपवाद को छोड़ दें तो सत्ता रूढ दल के प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा था।

2004 के चुनाव में कांग्रेस की लहर में बसपा के रमाकांत यादव को सांसद चुनाव। केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई। राज्य में मुलायम की सरकार थी। 2008 के उपचुनाव में बसपा के अकबर अहमद डंपी को चुना जबकि केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन यहां के वोटरों ने अपवाद स्वरूप राज्य की सत्तारूढ दल बसपा के साथ जाना सही समझा। वहीं 2009 में फिर से केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई और राज्य में मायावती की सरकार थी। लेकिन कांग्रेस व बसपा को नकारते हुए यहां भाजपा के रमाकांत यादव को सांसद चुना गया। मोदी की लहर वाले 2014 चुनाव में भाजपा को नकारते हुए सपा के मुलायम सिंह यादव को सांसद चुना। ऐसा ही 2019 के चुनाव मं किया जब सपा के अखिलेश को सांसद चुनते हुए भाजपा के निरहुआ को करारी हार का स्वाद चखाया। लेकिन इस बार आजमगढ़ की जनता ने दो दशक के इतिहास को बदल दिया।

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