कहीं जातिगत समीकरण तो कहीं काम बोलता है का गूंज रहा नारा
मधुबन/मऊ। काफी उहापोह के बाद सपा का टिकट कन्फर्म होते ही घोषित प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का प्रचार अभियान अब गाड़ियों के लंबे काफिले के साथ शुरु हो गया है। सुबह शाम इनके कार्यालयों पर लम्बी लम्बी लग्जरी गाड़ियों का काफिला देखने को मिलने लगा है। हंसो को भी मात देने वाले सफ़ेद कपड़ो में सजधज कर उनके समर्थक सबेरे से ही अपने अपने समर्थक प्रत्याशियों के कार्यालय पर देखने को मिल जायेगें। जैसे ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है वो वहां से रफूचक्कर हो जाते है। उनका विमान किसी गांव गिरांव में पहुंच जाता है और शुरू हो जाता है वहीं पुराना राग, ए माई, ए चाची, ए भउजी हमही के वोट दीह।
सपा के टिकट को लेकर बनी थी संशय
बता दे पर्चा भरने तक सपा का टिकट पार्टी कन्फर्म नहीं कर पाई थी। जिसे लेकर क्षेत्र में काफी उहापोह की स्थिति बनी रही। आज भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। क्योंकि अभी पार्टी के तरफ से कोई लिखित सूचना सार्वजनिक नहीं की गई है। पहले पूर्व विधायक सुधाकर सिंह का पर्चा भरा गया। बाद में उसी दिन उनका टिकट कटने की सूचना हाईकमान से आ गई। उसके बाद बसपा से सपा में आये पूर्व विधायक उमेशचन्द पांडेय का टिकट होने की सूचना मिली। हालांकि दोनों प्रत्याशियों ने अपना अपना पर्चा दाखिल किया था। इसके अलावा आद्या शंकर यादव, सुमित्रा यादव, राजेन्द्र मिश्रा, लीलावती कुशवाहा जैसे आधा दर्जन लोगों का पर्चा दाखिल होने की सूचना मिली। तब से इसी तरह इनका उनका टिकट मिलने की सूचना हवा में तैरती रही। लेकिन जैसे ही पर्चा भरने का समय सीमा खत्म हुआ, सपा के कार्यकर्ताओं ने उमेशचन्द पांडेय का टिकट होने की बात कहने लगे। इसी के आधार पर चुनाव प्रचार भी लोंगों ने शुरु कर दिया है।
बीजेपी ने राज्यपाल के पुत्र रामबिलास पर लगाया दांव
जबकि इस घमासान के पहले ही बीजेपी ने राज्यपाल बिहार फागू चौहान के पुत्र रामबिलास को टिकट दे दिया था जबकि कांग्रेस से निर्विवाद अमरेश चंद पांडेय और बसपा ने डॉक्टर नीलम कुशवाहा को टिकट दिया है। आप की भी इस चुनाव में इंट्री हो गई है उसने किशनलाल फौजी को टिकट दिया है। इसके अलावा भाजपा से बगावत करके भरत सिंह भी वीआईपी पार्टी से नाव पर सवार है। इनके अलावा एक दो प्रत्याशी और निर्दल के रुप में चुनाव मैदान में है और सभी ने अपने हिसाब से जातिगत समीकरण के आधार पर क्षेत्र में ताल ठोकना शुरू कर दिया है।
अब मतदाताओं को निभाना है फर्ज
हालांकि अधिकांश प्रत्याशियों के बाहरी होने के कारण मतदाताओं में मतदान को लेकर कोई बड़ा उत्साह देखने को नही मिल रहा है। लेकिन मतदाताओं को अपना फर्ज निभाना है तो किसी न किसी को वोट देना ही है। मतदाता भी खामोशी से उस पर्व का इंतजार कर रहे है। चुनाव आयोग के डंडे ने लोगों को शोरगुल से काफी राहत दे दी है। इसलिए सड़क पर घूमने वाले ही अधिकांशतः आफिसों के चक्कर लगाते मिल जा रहे है।
जातिगत समीकरणों ने मुकाबला बनाया दिलचस्प
हालांकि इस विधानसभा में जातिगत समीकरणों के हिसाब से बीजेपी, सपा और बसपा के बीच ही मुख्य मुकाबला आगे चुनाव में देखने को मिलेगा। सपा का अपना परम्परागत वोट जो यादव, मुस्लिम और ब्राह्मण प्रत्याशी के कारण ब्राह्मण वोट कमोबेस मिलने की संभावना है। लेकिन मुस्लिम वोटों में बसपा भी बड़ी सेंधमारी कर रही है तो ब्राह्मणों में कांग्रेस और बड़ी संख्या में बीजेपी भी सेंधमारी करती नजर आ रही है। बसपा में उमेशचन्द पांडेय के साथ रहे कार्यकर्ताओ का विरोध भी सपा प्रत्याशी को झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा सपा के जो निष्ठावान कार्यकर्ता और जो टिकट के दावेदार थे उनके भी विरोध का सामना उमेशचन्द पांडेय को करना पड़ सकता है।
कही भुगतना न पड़े एंटी इंकमबेंशी का खामियाजा
इसी तरह बीजेपी के प्रत्याशी रामबिलास को पूर्व मंत्री और विधायक दारा सिंह चौहान के एंटी इंकमबेंशी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हालांकि चौहान वोटर खुलकर चौहान के साथ है। इसके अलावा बनिया, ब्राह्मण, राजपूत, मल्ल/सैंथवार, कुर्मी, लोहार, धोबी, सोनार, साहनी, मल्लाह, राजभर आदि जैसी महत्वपूर्ण जातियां भी अधिकांश मात्रा में भाजपा को वोट करती नजर आ रही है। इनमें ज्यादातर लोग योगी और मोदी के नाम पर वोट करते नजर आ रहे है। इसके बाद भी बीजेपी को हर जाति वर्ग से वोट मिलने की पूरी सम्भावना है।
बसपा को परम्परागत वोटों पर भरोसा
बसपा के परम्परागत वोटों दलित, मुस्लिम, और कुशवाहा आदि जातियों के समर्थन के साथ स्थानीय होने का लाभ मिल सकता है। फौजी जातिगत समीकरणों के अलावा फ़ौजी वोटों सहित आप के कार्याे का हवाला देकर वोट बटोरने की कोशिश कर रहे है तो भरत सिंह भी साहनी और जातिगत सिम्पैथी वोटरों के भरोसे मैदान में जोरशोर से अपने प्रचार में लगे है। अब तो देखना यह है कि इस लड़ाई में जातिगत समीकरण भारी पड़ता है या मोदी योगी की डबल इंजन की सरकार का काम।
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