हड़प्पा-सिंधु के वक्त से धर्म-संस्कृति में समृद्ध रही बभनियांव (काशी)

खुदाई में मिले शिवलिंग बनाने की फैक्टी के संकेत


वाराणसी। देश के जाने माने पुराविद प्रो. बसंत शिंदे का मानना है कि बभनियांव में मिल रहे करीब चार हजार साल पुराने प्रमाणों से यह सत्यापित होता जाता है कि हड़प्पा और सिंधु घाटी सभ्यता के काल में भी बभनियांव धर्म-संस्कृति में काफी समृद्ध रही। हरियाणा में उत्खनन के जरिए राखी गढ़ी सभ्यता का सबसे पहले पता लगाने वाले प्रो. शिंदे बभनियांव पहुंचे है। उन्होंने उत्खनित टीले के चप्पे चप्पे का अवलोकन बहुत ही बारीकी से किया।

काशी के प्राचीन स्थल में बभनियांव

उन्होंने कहा कि हड़प्पा और सिंधु सभ्यता का काल भी चार हजार साल पुराना है। बभनियांव में मिले कृष्ण लोहित मृदभांड (पकी मिट्टी से बने बर्तन) यहां की सभ्यता के चार हजार साल प्राचीन (2000 BC) होने के प्रमाण हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि बभनियांव काशी के सबसे प्राचीन स्थल पर मौजूद है। भगवान शंकर का एकमुखी शिवलिंग बताता है कि यहां पर धर्म-संस्कृति काफी समृद्ध रही होगी।


चार स्तरों में प्रदक्षिणा पथ का निर्माण

प्रदक्षिणा पथ पर बनाई गई नई खत्ती में खोदाई के बाद इसके शुरुआती संकेत मिले हैं कि प्रदक्षिणा पथ का निर्माण चार स्तरों में किया गया है। प्रथम स्तर में टूटी ईटें बिछाई गई हैं। उसके उपर सुर्खी का प्रयोग है। तीसरे स्तर को कूंटी हुई ईंटों से तैयार किया गया है। चौथे स्तर पर साबूत ईंटें बिछाई गईं। ऐसी संभावना है कि यह काफी प्रसिद्ध मंदिर रहा होगा। उत्खनन के दौरान भूत दीवार के अवशेष भी मिले हैं। पुरातात्विक शाब्दावली में भूत दीवाल वह होती है जिसकी कुछ ईटों को बीच से पूर्व में ही निकाल दिया गया हो। यह दीवार मुख्य खत्ती के पूर्वी छोर पर मिली है। उसका विस्तार उत्तर की ओर है। उत्खनन में प्रो.अनिल कुमार दूबे,डा. उमेश कुमार सिंह,डा. सचिन तिवारी, डा. रवि शंकर भी सहयोग कर रहे हैं।

शिवलिंग बनाने की फैक्ट्री के मिले संकेत

बीएचयू में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रो ओएन सिंह ने बताया कि यहां मिले बहुसंख्य शिवलिंगों के अध्ययन से पता चला है कि करीब ढाई हजार साल पहले शिवलिंग बनाने की फैक्ट्री थी। चुनार के पहाड़ काटकर लाल पत्थर गंगा के रास्ते यहां लाए जाते रहे। उन्हें तराशकर शिवलिंग और मूर्तियां बनाईं जातीं थीं। उसका व्यापार बनारस नगर और इसके बाहर भी होता रहा होगा।


खुदाई से मिलेंगे कई नई जानकारी

प्रो अशोक कुमार सिंह ने बताया कि मंगलवार को ट्रेंच संख्या-1 में खोदाई फिर शुरू हो गई। यहां पर मिले शिवलिंग, अरघा और प्रदक्षिणा पथ के चारों ओर दूसरी संस्कृति का वास हो सकता है। इस खोदाई के बाद मंदिर का वास्तविक काल हम पता लगा पाएंगे। शिवलिंग की ओर नंदी महराज भी होंगे, जिनका खुदाई के दौरान मिलने की प्रबल संभावना है।






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