भूले बिसरे योद्धा बोंधू अहीर का भावपूर्ण मंचन

3 जून 1857 को अंग्रेज अधिकारियों को गोली मार किया था आजमगढ़ को आजाद



आजमगढ़। देर शाम स्थानीय शारदा टॉकीज में सूत्रधार संस्थान ने आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वाधान में भूले बिसरे योद्धा बोंधू अहीर का भावपूर्ण  मंचन किया गया ।1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मे आजमगढ़ के 17 वीं बटालियन के विद्रोह की कथा पर आधारित यह संगीतमय नाट्य प्रस्तुति दर्शकों को पूरे समय तक बांध पाने में सफल रही। नाटक के नायक बोधू अहीर (हरिकेश मौर्य ) ने 3 जून 1857 को आजमगढ़ के अंग्रेज अफसर सार्जेंट लेविस व लेफ्टिनेंट हचिंसन को गोली मारकर आज़मगढ़ ट्रेजरी और गोरखपुर से बनारस कैंटोमेंट भेजे जा रहे अंग्रेजी खजाने के रुपए साथ लाख अस्सी हजार  को लूट लिया था। इस रकम को उन्होंने नाना साहब को सौंप दिया था और आजमगढ़ को आजाद घोषित कर दिया था ।17 वीं बटालियन की टुकड़ी को उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में झोंक दिया था। पहले आजमगढ़ फिर फैजाबाद लखनऊ होते हुए कानपुर तक सूबेदार बोंधू अहीर के नेतृत्व में 17 वीं बटालियन ने भीषण संग्राम किया और अंग्रेजी राज के चूलें हिला दिए। इस काम में उनके प्रमुख सहयोगी रहे उनके होने वाले दामाद माधव सिंह (आदित्य अभिषेक) व उनके बेटे रामटहल (संदीप ) इनके साथ साथ उनके दो भाई शिवप्रसाद (अंगद कश्यप) किशन सिंह (अभिमन्नू यादव ) भी बहादुरी से लड़ते रहे। इतिहास में बोधू अहीर व उनके साथियों की वीरता को बहुत प्रमुखता से उल्लेखित नही किया जा सका है। इस नाते यह प्रस्तुति एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में सामने आती है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रताप गोपेंद्र के शोध कार्य पर आधारित यह नाटक बहुत ही प्रभावशाली बन पड़ी है। इसके अभिनेता दल में सूरज यादव रंजीत कुमार अखिलेश द्विवेदी रितेश रंजन रामजन्म चौबे विपिन कुमार शुभम बरनवाल ममता पंडित शशिकांत कुमार के सधे हुए गायन अभिनय ने दर्शकों को बांधे रखा भारतेंदु नाट्य अकादमी से स्नातक नीरज कुशवाहा के रचित संगीत में नाटक को गतिशील बनाए रखा शेषपाल सिंह श्शेषश् द्वारा लिखे गए इस संगीतमय नाटय आलेख ने बोधू अहीर और उनके संघर्ष को प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। इस नौटंकी की एक खास बात यह रही की पदम श्री गुलाब भाई जी के साथ संगत कर चुके प्रदेश के ख्यातिलब्ध नक्कारा वादक हरिश्चंद्र मास्टर विशेष रुप से कानपुर से आकर सूत्रधार के साथियों के साथ संगत किया। नाटक की परिकल्पना व निर्देशन अभिषेक पंडित का रहा। प्रकाश परिकल्पना दीपक कुमार ,मंच सज्जा अंगद कश्यप वस्त्र विन्यास सुग्रीव शर्मा और मुख सज्जा कुतुब आलम ने किया। मंचीय प्रबंधन नीरज सिंह तरुण राय ने संभाला। आयोजन में गांधीगिरी टीम ने व्यवस्था संचालन में भरपूर सहयोग दिया। इस नाटक के मंचन के पूर्व ख्यातिलब्ध संस्कृतिकर्मी व विचारक स्वर्गीय अमीर चंद, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर व प्रमुख समाजसेवी नित्यानंद मिश्रा को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष विजय यादव व हीरालाल शर्मा मौजूद रहे। अंत में संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर सी के त्यागी ने सभी का आभार प्रकट किया। कुल मिलाकर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में आजमगढ़ की सहभागिता और 17 वीं बटालियन के सूबेदार बोंधू सिंह अहीर के योगदान को यह प्रस्तुति प्रभावशाली ढंग से संप्रेषित करने में सफल रही।

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