बागपत। जनपद के सिसाना गांव में चल रहे पुरातात्विक सर्वेक्षण के दौरान ऐसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं, जो क्षेत्र को महाभारत कालीन सभ्यता से जोड़ते हैं। स्थल की ऊपरी परत से पेंटेड ग्रे वेयर (PGW) पॉटरी के नमूने प्राप्त हुए हैं। यह वही प्रकार की मिट्टी की पॉटरी है, जिसे प्रसिद्ध पुरातत्वविद् प्रो. बी. बी. लाल ने महाभारत काल की सभ्यता से जोड़ा था।
इसी प्रकार की PGW पॉटरी हस्तिनापुर और बरनावा जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर भी पाई गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि सिसाना में मिले इन बर्तनों की संरचना और उन पर बनी रेखाएं यह दर्शाती हैं कि यह क्षेत्र लौह युग (Iron Age) की विकसित सभ्यता का हिस्सा रहा होगा।
स्थल से लोहे गलाने की भट्टियों के अवशेष भी मिले हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि उस समय यहां धातु निर्माण की उन्नत तकनीक विकसित थी।पुरातात्विक दल को यहां मानव निर्मित एक प्राचीन संरचना के अवशेष भी मिले हैं, जो देखने में कोश-मीनार जैसी प्रतीत होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संरचना संभवतः उस युग में यात्रियों या नदीमार्ग से आने वालों के लिए दिशा सूचक के रूप में प्रयुक्त होती होगी।
अनाज के दाने, चूल्हे और हड्डियों के अवशेष भी मिले
साइट से प्राप्त अनाज के दाने, मिट्टी के चूल्हे के अवशेष और मानव हड्डियों के टुकड़े यह प्रमाणित करते हैं कि इस क्षेत्र में लंबे समय तक मानव बसावट रही है। पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को इस क्षेत्र को संरक्षित घोषित कर विस्तृत उत्खनन कराना चाहिए। इससे न केवल सिसाना की ऐतिहासिक महत्ता बढ़ेगी, बल्कि यह स्थान सांस्कृतिक पर्यटन का नया केंद्र भी बन सकता है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि प्राचीन काल में यह क्षेत्र खंडवप्रस्थ के नाम से जाना जाता था और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पांडवों का निवास भी रहा। ग्रामीणों का विश्वास है कि यदि इस स्थल को संरक्षण मिला, तो सिसाना गांव आने वाले समय में सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय रोजगार का प्रमुख केंद्र बन सकता है।

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