एएसपी मुकेश सिंह की पत्नी ने क्यों की आत्महत्या...मिला मौत से पहले का वीडियो!


लखनऊ। राजधानी के पुलिस लाइन स्थित ट्रांजिट हॉस्टल में 30 जुलाई 2025 को एक दिल दहला देने वाली घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया। एडिशनल एसपी मुकेश प्रताप सिंह की पत्नी नितेश सिंह ने आत्महत्या कर ली। इस दुखद घटना के पीछे की कहानी जितनी जटिल है, उतनी ही दर्दनाक। यह कहानी मानसिक प्रताड़ना, पारिवारिक तनाव, और एक मां की टूटती उम्मीदों की है, जिसने अपने 12 वर्षीय ऑटिज्म पीड़ित बेटे की जान लेने की कोशिश की और अंततः अपनी जान दे दी।
29 जुलाई की रात, नितेश सिंह ने अपने बेटे अनिकेत के साथ कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर कोई भी सिहर उठे. घर में लगे सीसीटीवी कैमरे ने उस भयावह मंजर को कैद कर लिया. फुटेज में नितेश अपने बेटे के मुंह पर तकिया रखकर दबाती दिखती हैं। अनिकेत, जो ऑटिज्म से पीड़ित है, छटपटाने लगता है। तकिया हटाने के बाद नितेश दोनों हाथों से उसकी गर्दन दबाने की कोशिश करती हैं। लेकिन अनिकेत किसी तरह खुद को छुड़ा लेता है और अपने चेहर को दोनों हाथों से ढक लेता है। यह दृश्य सिर्फ 10 सेकंड का है, लेकिन यह एक मां के टूटे हुए मन की पूरी कहानी बयां करता है। (वीडियो विचलित कर सकता है इसलिए उसे खबर में शामिल नहीं किया गया है)
नितेश के भाई प्रमोद कुमार ने बताया कि उनकी बहन लंबे समय से डिप्रेशन में थीं। प्रमोद का आरोप है कि एएसपी मुकेश प्रताप सिंह नितेश को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे। उनके मुताबिक, मुकेश का एक विवाहित महिला से करीबी रिश्ता था, जिसे लेकर नितेश ने उन्हें एक महिला अफसर के साथ अश्लील बातचीत करते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। इसके बाद से मुकेश का व्यवहार और क्रूर हो गया।
प्रमोद ने बताया कि मुकेश अक्सर नितेश को ताने मारते थे कि उन्होंने एक ऑटिज्म पीड़ित बच्चा पैदा किया और अब उन्हें ही उसकी देखभाल करनी होगी। ये ताने नितेश के लिए असहनीय थे। वह अपने बेटे से बेहद प्यार करती थीं, लेकिन लगातार अपमान और मानसिक यातना ने उन्हें तोड़ दिया। प्रमोद का कहना है कि मुकेश ने घर में सीसीटीवी कैमरे सिर्फ इसलिए लगवाए थे ताकि वह हर स्थिति में खुद को निर्दाेष साबित कर सकें।
नितेश सिंह फिरोजाबाद के नगला करन सिंह की रहने वाली थीं और पूर्व बसपा विधायक राकेश बाबू की बेटी थीं। राकेश बाबू, जो अब भाजपा में हैं, 2007 से 2017 तक विधायक रहे। नितेश का विवाह मुकेश प्रताप सिंह से हुआ, जो मूल रूप से इटावा के रहने वाले हैं। मुकेश एक पीपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में सीबीसीआईडी, लखनऊ में एएसपी के पद पर तैनात हैं। तीन महीने पहले ही उनका तबादला बरेली से लखनऊ हुआ था और उन्होंने अपने परिवार को लखनऊ शिफ्ट किया था। लेकिन नया शहर और नई शुरुआत नितेश के लिए कोई राहत नहीं ला सकी। वह अपने बेटे की स्थिति और पति के व्यवहार से तनाव में थीं। 29 जुलाई की घटना के बाद पति-पत्नी के बीच कहासुनी हुई, जिसने नितेश को और गहरे अवसाद में धकेल दिया। अगले दिन, 30 जुलाई को, उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
मुकेश ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए परिवार की हर गतिविधि पर नजर रखी थी। 29 जुलाई की फुटेज उनके मोबाइल पर थी, जिसमें नितेश की हरकत साफ दिख रही थी। पुलिस को इस घटना की जानकारी खुद मुकेश ने दी। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये कैमरे सिर्फ परिवार की सुरक्षा के लिए थे, या मुकेश की सतर्कता का हिस्सा, जैसा कि नितेश के भाई ने आरोप लगाया। नितेश की आत्महत्या ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह सिर्फ एक मां की मानसिक स्थिति का परिणाम था या इसके पीछे पारिवारिक तनाव और पति की प्रताड़ना की बड़ी भूमिका थी? क्या समाज और परिवार ने नितेश को वह सहारा दिया, जिसकी उन्हें जरूरत थी? और सबसे बड़ा सवाल-क्या अनिकेत, जो इस त्रासदी का मूक गवाह बना, उसे अब वह प्यार और देखभाल मिलेगी, जिसका वह हकदार है? पुलिस मामले की जांच कर रही है और सीसीटीवी फुटेज इस जांच का अहम हिस्सा है। यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उन अनगिनत लोगों की है, जो मानसिक स्वास्थ्य की जंग लड़ते हुए अकेले पड़ जाते हैं।

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