उप्र में और महंगी होगी बिजली...उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा इतना असर!


लखनऊ। प्रदेश की बिजली दरें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। यूपी पॉवर कॉर्पाेरेशन ने बिजली दरों में 30 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग ने मंजूरी दे दी है। अब इस पर जुलाई में सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद ही फैसला होगा कि बिजली दरें बढ़ेंगी या नहीं। आयोग ने बिजली कंपनियों को तीन दिन में आय-व्यय का पूरा ब्योरा सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया है।
दरअसल, यूपी पॉवर कॉर्पाेरेशन ने 2025-26 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) आयोग में दाखिल की थी। पहले इसमें करीब एक हजार करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था। लेकिन कुछ ही दिन बाद कॉर्पाेरेशन ने संशोधित एआरआर दाखिल की, जिसमें घाटा 19600 करोड़ रुपये बताया गया। इसी आधार पर बिजली दरें 30 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। आयोग ने इसे स्वीकार करते हुए जुलाई में इस पर सुनवाई करने की तारीख तय की है।
इस मामले में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एआरआर को नियामक आयोग की वेबसाइट पर नहीं डाला गया, जो नियमों का उल्लंघन है. वर्मा ने आरोप लगाया कि बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव गुपचुप तरीके से पास किया गया। यह पहली बार हुआ है जब प्रस्ताव को सार्वजनिक न करते हुए सीक्रेट तरीके से मंजूरी दी गई। उनका कहना है कि उपभोक्ता परिषद इस फैसले का विरोध करेगी और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए अदालत तक जाएगी।
बिजली दरों में बढ़ोतरी का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। पहले से ही महंगाई का बोझ झेल रहे लोगों पर बिजली का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यूपी में बिजली दरें पहले ही कई बार बढ़ चुकी हैं। सरकार का दावा रहता है कि उपभोक्ताओं को राहत दी जाएगी, लेकिन बार-बार बिजली दरें बढ़ने से लोग परेशान हो रहे हैं।
बिजली दरों में अनुदान के मामले में यूपी देश में पांचवें स्थान पर है। राजस्थान पहले और कर्नाटक दूसरे स्थान पर है। बावजूद इसके, पॉवर कॉर्पाेरेशन बार-बार कह रहा है कि सरकार बिजली दरें बढ़ाने में मदद नहीं कर रही। वर्मा ने कहा कि यह जनता को गुमराह करने की कोशिश है। उन्होंने मांग की कि पॉवर कॉर्पाेरेशन प्रबंधन की गतिविधियों की जांच होनी चाहिए।

Post a Comment

0 Comments