कुछ लोगों की मानसिकता हम कभी बदल नहीं सकते...मारपीट के आरोपों पर वेंदाता हास्पिटल के निदेशक डा. शिशिर जायसवाल ने दिया जवाब!


आजमगढ़। वेदांता हास्पिटल एक विश्वसनीय संस्था है और सदैव मानव मूल्यों की रक्षा करने को कटिबद्ध हैं। हम मानव सेवा की प्राथमिकता के साथ साथ अपने आदर्श वैज्ञानिक अब्दुल कलाम के सपनों को पूरा करने में विश्वास रखते है। हमारा संस्थान कठिन से कठिन आपरेशनों को करके मानव जीवन की रक्षा का कार्य कर रहा है, और आगे भी करता रहेगा। हमारे हास्पिटल में आये मरीज का पहले उपचार को प्राथमिकता दी जाती है।उक्त बातें वेंदाता हास्पिटल के निदेशक डा शिशिर जायसवाल ने हास्पिटल के सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कहीं।
चिरैयाकोट के मृत मरीज के परिजनों द्वारा हास्पिटल परिसर में मचाये गये उत्पात और दुर्व्यवहार के आरोपों के प्रकरण में मीडिया बंधुओं को जबाव देते हुए डा शिशिर जायसवाल ने आगे कहा कि साक्ष्य के तौर पर घटना का वीडियो साक्ष्य के रूप में उपलब्ध हैं। आपरेशन आदि का पैसा न देना पड़े, इसलिए आपसी सांठ-गांठ करके सोची समझी साजिश के तहत ऐसा माहौल खड़ा कर संस्था को बदनाम किया गया। मरीज का तमाम वीडियो मेरे पास साक्ष्य के रूप में सुरक्षित है, साथ ही एम्बुलेंस में भी मरीज जीवित था। हास्पिटल की व्यवस्था बेहद सरल है और हम प्रशासन पर भरोसा रखते है इसी का फायदा उठाते हुए लोग हास्पिटल को आये दिन बदनाम कर क्षति पहुंचाते रहे है। अगर हमारे गुणवत्ता पर कोई किसी को संदेह है तो वह हास्पिटल का विधिक जांच करा सकता है, हर जांच का हम जबाव देंगे और प्रत्येक मानकों पर खरे उतरेंगे लेकिन एक बड़े ब्रांड वाले हास्पिटल के बारे में अर्नगल बातें करके लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का काम कर रहे है, यह समाज के लिए अच्छा नहीं है। हमारे लेडीज स्टाफ आदि के साथ उन युवकों द्वारा दुर्व्यवहार किया गया है, हम हास्पिटल में अकेले ही चलते है और पूरे परिसर में ना कोई बाउंसर है और ना कोई हथियार भी होगा लेकिन मारपीट आदि आरोप झूठा लगाया गया वह सभी बेबुनियाद है। उन्होंने आगे कहाकि न्यूरो का एक आपरेशन 3 से 4 घंटे का होता है और छोटे से छोटा आपरेशन भी 2 से ढाई घंटे में होता हैं ।ऐसे में हमारे पास किसी के गलत आरोपों का जवाब देने का समय नहीं है हम अपना समय मानव जीवन की रक्षा करने में लगाना जरूरी समझते है।
एक प्रकरण की चर्चा करते हुए डा जायसवाल ने बताया कि लोक गायिका उजाला यादव का कोई परिचित हमारे यहां भर्ती था उसका उपचार आयुष्मान से हुआ उससे एक रूपया भी अस्पताल ने नहीं लिया और वह जब डिस्चार्ज हुआ तो वह हास्पिटल से खुद से चलकर गाड़ी में बैठकर घर गया, बाद में लोहिया में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई लेकिन उन लोगों द्वारा हमारे हास्पिटल का नाम जोड़ दिया गया। मैं ऐसे किसी भी गलत व्यक्तियों के प्रति जवाबदेह नहीं हूं। हमारे यहाँ मेडिको लीगल की केश सबसे ज़्यादा संख्या में आती है जैसे गन शॉट इंजरी के मामले प्वाइजनिंग के मरीज़ ,हैंगिंग, मार धाड़ के तमाम केश आते है और उनके उपचार में प्रशासन से भी हमें भरपूर सहयोग मिलता रहता है क्योंकि हमारे हास्पिटल का रिजल्ट अच्छा है हमने लोगों की जान बचाई हैं। तीन-तीन गोलियों के बाद भी हमने घायलों की जान बचाई है और आपरेशन के तीन दिन बाद पैसा लिया है। हमारे पास जो केस आता है वह गंभीर होता है उनके साथ जो लोग आते वह आक्रोशित होते है और बेवजह हमारे हास्पिटल का नाम बदनाम हो जाता है।
कोविड में भी हमने लगभग 3 हजार लोगों का उपचार किया, जिसमे कुछ लोग नहीं बच पाए तो कुछ लोगों की जान बचाई भी गई । ऐसे आपातकालीन समय में सेवा देना क्या यह मानव धर्म का कार्य नहीं है, उन्होंने कहाकि कुछ लोगों की मानसिकता हम कभी बदल नहीं सकते, हम मरीजों की जान बचाने में समय खर्च करना चाहते है न कि थाना कोतवाली करने में अपना समय जाया करना चाहते है।

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