मैनपुरी। करहल विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव के आने से चुनावी लड़ाई दिलचस्प बनी हुई है। एक तरफ जहां सपा के गढ़ में सेंधमारी के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगाई हुई है तो वहीं अब बहू और सास की एंट्री ने भी समाजवादी पार्टी की मुश्किलें को और बढ़ा दिया है। ऐसे में सपा अध्यक्ष खुद अब मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
भाजपा ने सैफई परिवार को रिश्तेदार अनुजेश यादव को करहल से उम्मीदवार बनाया है। अनुजेश, अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के बहनोई है। अनुजेश यादव की पत्नी धर्मेंद्र यादव की बहन हैं जो अपनी सास और पूर्व विधायक उर्मिला यादव के साथ पति के समर्थन में घर-घऱ जाकर चुनाव प्रचार करने में जुटी हुई हैं। जिससे यादव वोटबैंक में सेंधमारी का खतरा बढ़ गया है। सास बहू की इस जोड़ी ने सैफई परिवार में हलचल मचा दी है।
भाजपा का सबसे ज्यादा जोर घिरोर और बरनाहल में देखने को मिल रहा है। भाजपा के इस दांव से निपटने के लिए सपा ने भी जोर लगाना शुरू कर दिया है। अपने गढ़ को बचाने के लिए खुद अखिलेश यादव ने कमान संभाल ली है। सपा मुखिया अब घिरोर में चुनाव प्रचार के लिए आ रहे हैं, जहां उनकी एक बड़ी जनसभा होने जा रही है। वहीं सैफई परिवार भी इन इलाकों में घर-घर जाकर संपर्क साध रहा है।
करहल विधानसभा सीट सपा का गढ़ रही है, इस सीट पर यादव वोटर निर्णायक भूमिका में हैं जो जीत और हार तय करते हैं। यहां क़रीब सवा लाख वोटर यादव हैं। साल 1985 के बाद से इस सीट पर यादव प्रत्याशी ही चुनाव जीतता रहा है। जबकि 1993 से यहां लगातार समाजवादी पार्टी ही चुनाव जीतती आ रही है। साल 2022 के चुनाव में अखिलेश यादव यहां से चुनाव जीते थे।
इस बार अखिलेश यादव ने करहल से अपने भतीजे और पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए सैफई परिवार से ही जुड़े अनुजेश यादव को चुनाव में उतारा है। अनुजेश न सिर्फ यादव समाज है बल्कि धर्मेद्र यादव के बहनोई भी हैं। उनकी मां दो बार घिरोर विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी है, ये सीट साल 2007 में खत्म हो गई थी और अब ये करहल सीट का हिस्सा बन गई है। भाजपा की इस रणनीति के काट के लिए सपा ने भी ताकत लगाई हुई है। शिवपाल यादव, डिंपल यादव और धर्मेंद्र यादव समेत तमाम दिग्गज नेता तेज प्रताप के समर्थन में नुक्कड़ सभा करने में जुटे हैं। ख़ुद शिवपाल तीन जनसभाएं भी कर चुके हैं।
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