16 दिन, कस्टडी में 2 मौतें और गरमाई राजनीति... फंस गई लखनऊ पुलिस!


लखनऊ। राजधानी में 16 दिनों के भीतर दो लोगों की मौत ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। इस तूफान की वजह इन दोनों मौतों का पुलिस हिरासत में होना है, जिसके बाद लखनऊ के साथ-साथ पूरे उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन के साथ-साथ तबादले कर सरकार ने एक्शन का संदेश दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पहले पुलिस हिरासत में जान गंवाने वाले मोहित पांडेय के परिजनों से मुलाकात की और सरकार की तरफ से मदद का घोषणा भी की।
लखनऊ में अमन के बाद मोहित पांडेय की मौत से राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। बीते 13 अक्टूबर को लखनऊ के ही रहने वाले अमन गौतम और उसके साथी को कुछ पुलिसकर्मी किसी मामले में पकड़ कर ले गए थे। अमन के परिवार के मुताबिक, इन्हीं पुलिसकर्मियों ने अमन के साथ मारपीट की, जिसके बाद पुलिस हिरासत में अमन की मौत हो गई। इस मामले में लखनऊ में जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद मामले में सिपाही शैलेंद्र और अन्य तीन अज्ञात पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर लिया गया। उस रात अमन की मौत के बाद प्रदर्शन करने वाले परिवार पर पुलिस ने लाठियां भी चलाई थीं। वहीं, अमन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आई है। इसमें अमन की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया है। अमन की मौत का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि पुलिस हिरासत में एक और शख्त मोहित पांडेय की मौत ने पूरे पुलिस महकमे की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजधानी लखनऊ में एक मामूली विवाद में पुलिस ने एक शख्स मोहित पांडेय को हिरासत में लिया था। रात में 11 बजे पुलिस ने आरोपी को उठाया और रात डेढ़ बजे जानकारी सामने आई कि उसकी तबीयत खराब हो गई थी। इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई। अब पुलिस की हिरासत में हुई इस मौत पर हंगामा मचा हुआ है। आरोप लग रहे हैं कि पुलिस की पिटाई के चलते युवक की जान गई है। ये मामला लखनऊ के चिनहट थाने का है। इस घटना के बाद युवक के परिवार का आरोप है कि चिनहट थाने के पुलिसवालों ने मोहित को इतना पीटा कि उसकी जान चली गई। इस पूरे मामले में थाने के इंचार्ज अश्विनी कुमार चतुर्वेदी के खिलाफ धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद उन्हें इस थाने से हटा दिया गया है। अब सब इंस्पेक्टर भरत कुमार पाठक को थाने का चार्ज दिया गया है। इसके साथ ही चिनहट थाने में तैनात दो एडिशनल एसएचओ श्री प्रकाश सिंह और आनंद भूषण वेलदार को उनके पद से हटाते हुए चिनहट थाने में सब इंस्पेक्ट रैंक के एसओ की तैनाती की फैसला किया गया है। उन लोगों का गोमतीनगर विस्तार थाने ट्रांसफर किया गया है।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब यूपी पुलिस की कस्टडी में किसी की जान गई हो। साल 2018 से 2019 के बीच 12 लोगों की मौत। साल 2019 से 2020 के बीच तीन लोगों की जान पुलिस हिरासत में गई। साल 2020 से 2021 के बीच आठ लोगों ने पुलिस कस्टडी में दम तोड़ा। साल 2021 से 2022 के बीच भी पुलिस कस्टडी में 8 लोगों की जान गई। साल 2022 से 2023 के बीच 10 लोगों की जान पुलिस कस्टडी में गई। और बात अगर इसी साल यानी 2024 की करें तो अब तक चार से ज्यादा लोगों की जान पुलिस हिरासत में जा चुकी है, जिसमें दो मामले राजधानी लखनऊ के हैं।
पुलिस कस्टडी में मौत को लेकर सियासत गरम है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा कि राजधानी लखनऊ में पिछले 16 दिनों में पुलिस ‘हिरासत में मौत (हत्या पढ़ा जाए)’ का दूसरा समाचार मिला है। नाम बदलने में माहिर सरकार को अब ‘पुलिस हिरासत’ का नाम बदलकर ‘अत्याचार गृह’ रख देना चाहिए। पीड़ित परिवार की हर मांग पूरी की जाए, हम उनके साथ हैं। वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि लखनऊ में पुलिस ने दो युवकों को हिरासत में लिया और अगली सुबह एक की मौत हो गई। एक पखवाड़े में यूपी पुलिस की हिरासत में यह दूसरी मौत है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे की हत्या कर दी। यूपी, हिरासत में होने वाली मौतों के मामले में पूरे देश में पहले स्थान पर है। प्रदेश में भाजपा ने ऐसा जंगलराज कायम किया है, जहां पुलिस क्रूरता का पर्याय बन चुकी है। जहां कानून के रखवाले ही जान ले रहे हों, वहां जनता न्याय की उम्मीद किससे करें? दूसरी तरफ़ पुलिस हिरासत में हुई मौत पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सरकार पर हमला बोलते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाई और पीड़ित परिवार को मुआवज़ा सहित मदद की अपील की है।

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