लखनऊ। यूपी की योगी सरकार का सबसे ज्यादा जोर राज्य की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर है। कई बड़े जिलों को पुलिस कमिश्नरेट बना दिया गया है कि ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर ढंग से संभाला जा सके। सरकार का दावा भी है कि कानून व्यवस्था 2027 की तुलना में बेहतर हुई है। इस दावे पर उनके ही विधायक ने सवाल खड़ा कर दिया है। आगरा से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री जीएस धर्मेश ने पुलिस कमिश्नरेट पर गंभीर आरोप लगाया है। विधायक ने यहां तक कहा कि पुलिस कमिश्नरेट नहीं कमीशन का रेट है। जीएस धर्मेश आगरा छावनी से बीजेपी के विधायक हैं। उनका दावा है कि आगरा पुलिस जीरो टॉलरेंस की नीति को पलीता लगा रही है। इस संबंध में उनका एक लेटर भी वायरल हो रहा है। विधायक के आरोपों को उदाहरण बताते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सरकार पर हमला बोला है।बीजेपी विधायक ने अपने लेटर में लिखा है कि आगरा के वरिष्ठतम, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और कुछ एसीपी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराधों पर जीरो टॉलरेंस की सोच को पलीता लगा रहे हैं। भूमाफियाओं और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उन्हें संरक्षण प्रदान कर रहे हैं।
विधायक ने कहा कि न्यायालय से गैर जमानती वारंटियों को भी गिरफ्तार करने के बाद थाने से ही छोड़ा जा रहा है। बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर अनावश्यक गंभीर धाराएं लगाकर उन्हें जेल भेजा जा रहा है। योगी सरकार कोर्ट में दमदार पैरवी का दावा कर रही है लेकिन विधायक ने कहा कि न्यायालयों में पुलिस की लचर पैरवी के कारण अपराधियों, बलात्कारी और भूमाफिया आए दिन कोर्ट से बरी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी एक सप्ताह पूर्व पुलिस ने एक गैर जमानती वारंटी को पकड़ा और दो घंटे के बाद थाना से ही छोड़ दिया। आखिर इन्हें किसके आदेश पर छोड़ा जा रहा है। आगरा में पुलिस कमिश्नरेट नहीं बल्कि कमीशन रेट हो गई है। सरकार के स्वच्छ कार्य एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की छवि को धता बता रही है। विधायक ने यह भी कहा कि वह मुख्यमंत्री से मिलेंगे और साक्ष्यों के आधार पर आगरा पुलिस के कारनामें बताएंगे।
विधायक का पत्र वायरल होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार को घेरा है। अखिलेश ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि उप्र के माननीय मुख्यमंत्री जी कम-से-कम अब तो अपने शासन-प्रशासन के कुशासन को स्वीकार कर लीजिए क्योंकि अब तो आपके ही विधायक पुलिस ‘कमिश्नरेट’ को ‘कमीशन-रेट’ की उपाधि से सुशोभित कर रहे हैं। अब क्या इस आलोचना के बाद आप उन पर भी एफ़आईआर लिखवाएंगे या बुलडोज़र का डर दिखलाएंगे। भाजपा राज में ‘कमिश्नरेट’ दरअसल ‘करेपश्नेट’ बन गये हैं। कमिश्नरेट वसूली का विकेंद्रीकरण है।
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