आजमगढ़। आजमगढ़ की धरती राजनैतिक रूप से बहुत जागरूक रहीं है इस जनपद के मूल निवासी उत्तर प्रदेश के दूसरे लोक सभा क्षेत्र से चुनाव में विजय हासिल कर भारत की केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल हुए हैं तो वहीं भारत से बाहर दूसरे देशों में सक्रिय राजनीति में रहकर अपनी अमिट राजनैतिक छाप छोड़ी है। आजमगढ़ जिले के निवासी वासुदेव पाण्डेय त्रिनिदाद और टोबैगो के प्रधानमंत्री रहे। पीरपुर रियासत के राजा सय्यद अहमद मेंहदी रामपुर के सांसद और पंडित नेहरू के दूसरे कार्यकाल की सरकार में उप उद्योग मंत्री रहे। आजमगढ़ जिला मुख्यालय से पश्चिमी-उत्तरी छोर पर फैज़ाबाद (अब अम्बेडकर नगर ) और आजमगढ़ की सीमा पर पीरपुर रियासत रही। रियासत का अधिकांश हिस्सा फैज़ाबाद में था लेकिन राजा साहब सय्यद अहमद मेंहदी की कोठी आजमगढ़ जनपद की सीमा मित्तपुर में रही, आज भी कोठी का कुछ अंश बचा है। राजा साहब अब इस दुनिया में नहीं हैं। अपने जीवन काल में मोहर्रम में मित्तपुर अवश्य आते रहे और अपनी रियासत के लोगों से मिलते थे, स्वभाव से बहुत ही सरल सहज, मिलनसार और मृदुभाषी रहे। जब देश आजाद हुआ तो रियासतों का भी भारत सरकार में विलय हो गया सराजा सय्यद अहमद मेंहदी दूसरी लोक सभा चुनाव 1952 में रामपुर लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और भारतीय जनसंघ पार्टी के प्रत्याशी सीता राम को भारी मतों से पराजित कर सदन में पहुँचे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के मंत्रीमण्डल में उप उद्योग मंत्री बने। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुलकलाम आज़ाद रामपुर लोक सभा से प्रथम लोक सभा चुनाव में जीत कर सदन पहुँचे थे। रामपुर लोक सभा के दूसरे चुनाव में 4,12,419 मतदाता थे जिसमें से 50.25 प्रतिशत मतदाता यानी 207244 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था कांग्रेस प्रत्याशी राजा अहमद मेंहदी को 127864 मत और प्रतिद्वंन्दी प्रत्याशी भारतीय जनसंघ के सीता राम को 59107 वोट मिले थे चुनावी मैदान में दो ही प्रत्याशी थे। जिनके बीच सीधा मुकाबला था स यह उपलब्धि आजमगढ़ और तत्कालीन फैज़ाबाद (अब अम्बेडकर नगर ) के निवासियों के लिए लिए गौरवशाली उपलब्धि रही स आज आज़ादी के बाद दो पीड़ियाँ बदल गयीं हैं मित्तूपुर के आस-पास की नई पीढ़ी इन उपलब्धियों से वाकिफ नहीं है।
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