लखनऊ। लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पूरी तरह से चुनावी मैदान में उतर गए हैं। हालांकि अखिलेश यादव की सपा के अंदर की अंतर्कलह भी कई बार सामने आई है। इसका सीधा असर सपा द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों की लिस्ट पर दिखाई दिया है। सपा ने कई सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित करने के बाद उम्मीदवार बदले हैं। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में छह सीटों पर सात उम्मीदवार बदल दिए हैं। जिसमें सबसे अधिक मेरठ सीट पर सपा का म्यूजिकल चेयर का गेम दिखाई दिया।
समाजवादी पार्टी ने मेरठ के लिए सुनीता वर्मा के नाम की घोषणा की, इससे पहले सपा ने अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह और सरधना विधायक अतुल प्रधान को इस सीट से उतारा था। हालांकि बाद में सुनीता वर्मा को इस सीट से तीसरे उम्मीदवार के रूप में फाइनल उम्मीदवार बनाया। सुनीता मेरठ की पूर्व मेयर हैं और यह घोषणा तब हुई जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अतुल प्रधान और सुनीता के पति और पूर्व विधायक योगेश वर्मा से लखनऊ में बात की। इस दौरान अखिलेश यादव ने सुनीता वर्मा को मेरठ सीट पर चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया और अतुल प्रधान ने इस पर सहमति दे दी।
इसके अलावा यूपी की मुरादाबाद सीट पर भी इस तरह का ही खेल देखने को मिला। शुरुआत में पार्टी ने मौजूदा सांसद एसटी हसन को अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्हें चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया और उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया। उसी शाम सपा नेतृत्व ने आजम खान की पसंद रुचि वीरा को पार्टी सिंबल दे दिया। उन्होंने अगले दिन अपना नामांकन दाखिल किया। हालाँकि नामांकन दाखिल करने की समय सीमा समाप्त होने के कुछ मिनट बाद, एसटी हसन को पार्टी प्रमुख से एक और पत्र मिला जिसमें उन्हें 'असली' उम्मीदवार घोषित किया गया और रुचि वीरा की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया गया।हालांकि बाद में पार्टी की अधिकृत उम्मीदवार रूचि वीरा ही रहीं।
वहीं रामपुर लोकसभा सीट पर भी ऐसी ही भ्रामक स्थिति देखी गई। सूत्रों के अनुसार सपा नेतृत्व ने सबसे पहले आजम खान से उनकी पसंद का उम्मीदवार बताने को कहा। खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आजम खान से भी जेल में मुलाकात की थी। सपा नेता आजम खान ने सबसे पहले अखिलेश या उनके परिवार के किसी सदस्य को इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा। वहीं आजम खान के करीबी नेताओं ने एलान कर दिया कि अगर अखिलेश इस सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे। फिर सपा ने दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को रामपुर से चुनावी मैदान में उतारा। वहीं इस सीट आजम की पसंद आसिम राजा ने भी सपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया, हालांकि बाद में उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई।
इसके साथ ही बागपत में सपा नेता अमरपाल शर्मा ने पहले प्रत्याशी मनोज चौधरी की जगह ली है। इस सीट पर पार्टी ने जाटलैंड में ब्राह्मण कार्ड खेलने का फैसला किया है। गौतमबुद्धनगर में सपा ने महेंद्र सिंह नागर को उम्मीदवार बनाया, लेकिन चार दिन बाद उनकी जगह राहुल अवाना को उम्मीदवार बनाया गया। फिर 30 मार्च को सपा नेतृत्व ने एक बार फिर महेंद्र सिंह नागर को प्रत्याशी घोषित किया। इसी तरह पश्चिमी यूपी की बिजनौर सीट पर पार्टी ने पहले यशवीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा और उनकी जगह फिर नूरपुर से मौजूदा सपा विधायक राम अवतार सैनी के बेटे दीपक सैनी को मैदान में उतारा।

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