मुस्लिम वोटर्स के लिए मायावती ने तैयार किया मास्टर प्लान, सपा-कांग्रेस की बढ़ेंगी मुश्किलें?


लखनऊ। साल 2024 का लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे दिलचस्प होता जा रहा है। एनडीए और इंडिया गठबंधन से इतर अब उत्तर प्रदेश में तीसरा मोर्चा भी बनने की कगार पर है। इंडिया गठबंधन में न जाकर अकेले चुनाव लड़ने का दमखम भरने वाली मायावती क्या अब एक अलग मोर्चा तैयार कर रही हैं? इस मोर्चे के माध्यम से मायावती मुस्लिम वोटों को अपने साथ जोड़ने की मुहिम में लग गई हैं। मायावती की कोशिश है कि वह दलित और मुस्लिम गठजोड़ से 2024 के चुनाव में अपने अस्तित्व को बचा पाएं। सूत्रों के मानें तो मायावती की राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल से बातचीत जारी है। पिछले दिनों बहुजन समाज पार्टी की एआईएमआईएम से बातचीत की खबरें राजनीतिक गलियारों में चल रही थीं। इसी दौरान अब एक और दल से मायावती की बातचीत की खबरें आ रही हैं। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल से आजमगढ़ और जौनपुर की सीट पर बहुजन समाज पार्टी की बातचीत इस वक्त जारी है। राजनीतिक जानकारों की माने तो अगर यह गठबंधन होता है तो इससे समाजवादी पार्टी की राह आसान नहीं होने वाली है।
बता दें कि बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद 2008 में राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का गठन हुआ था। जिसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने 5 सीटें लड़कर सवा दो लाख वोट पाए थे। इसके बाद साल 2012 का विधानसभा चुनाव, 2014 का लोकसभा चुनाव, 2017 का विधानसभा चुनाव और 2022 का विधानसभा चुनाव इस पार्टी ने लड़ा है। साल 2022 के विधान सभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी के पक्ष में यह माना गया था कि इस दौरान बड़े मुस्लिम वोट बैंक ने समाजवादी पार्टी का साथ दिया है। उस दौरान आजमगढ़ की दीदारगंज विधानसभा सीट से राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल से 11000 वोट पाए थे। इस बात से उलेमा काउंसिल यह बतानी की कोशिश करती है कि आजमगढ़ और जौनपुर के कई क्षेत्रों में मुस्लिम बहुल क्षेत्र में राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का वर्चस्व है। इसी आधार पर उलेमा काउंसिल आजमगढ़ और जौनपुर में बसपा के साथ मिलकर ताल ठोकने की तैयारी में है।

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