UP के इस जिले में भगवान श्रीराम और माता सीता ने खाया था लिट्टी चोखा...यहां हर साल लगता है मेला!



लखनऊ। प्रदेश का बस्ती जनपद त्रेता युग से ही भगवान श्रीराम के जीवन के इतिहास के कई किस्सों को समेटे हुए है। बस्ती जनपद महर्षि वशिष्ठ की तपोभूमि मानी जाती है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के पिता राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठ यज्ञ बस्ती जनपद के मुखौटा धाम में किया था। जिससे उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी ऐसे ही कथन वेद पुराणों से पाए जाते हैं। बस्ती जनपद श्रीराम की नगरी अयोध्या से कुछ की दूरी पर स्थित है। इसलिए इस जनपद का बहुत गहरा नाता राम की नगरी अयोध्या से रहा है। ऐसे ही पुराणों में आया कि भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता के साथ जब लंका से रावण का वध कर लौटे थे तो बस्ती के लाजगंज थाना क्षेत्र स्थित मनोरमा कुआनो संगम तट पर भगवान श्रीराम और माता सीता सहित अन्य देवताओं ने लिट्टी-चोखा खाया था। तब से यहां पर भारी संख्या मे मेले का आयोजन होता है। ऐसा मानना है कि पवित्र मनोरमा नदी में स्नान करने से मनुष्य का दैहिक, दैविक, भौतिक हर तरह का पाप नष्ट हो जाता है।

पुराणों के अनुसार, लालगंज थाना क्षेत्र में मनोरमा-कुआनो नदी के संगम तट पर महर्षि उद्दालक मुनि की तपोभूमि तट पर भगवान श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ चौत्र पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद पूजन अर्चन किया था। उसके बाद लिट्टी चोखा बनाकर सभी लोगों ने खाया था। उस समय पृथ्वी स्वर्ग के समान हो गयी थी। आकाश में उजाले थे और जबतक भगवान वहां मौजूद थे तबतक चारों तरफ भक्ति का माहौल था।

यही नहीं भगवान श्रीराम ने लिट्टी-चोखा खाने के बाद यहीं रात्रि विश्राम किया था। तब से यहां पर चौत्र पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में कई जनपदों से लोग आकर मनोरमा-कुआनो के संगम तट पर नहाते हैं। उसके बाद अनाज, धन दान करके लिट्टी-चोखा बनाकर एक दूसरे को खिलाते हैं। यहां पर लगभग 5 दिनों तक मेले का आयोजन होता है। मंदिर के कर्ताधर्ता ने बताया कि भगवान श्रीराम के जन्म त्रेता युग के पहले का यह मंदिर है। यह तीन नदियों का संगम है। उन्होंने बताया कि अगर आज के दौर में बात की जाए तो मनोरमा और कुआनो नदी कहा जाता है लेकिन अगर वैदिक काल की बात की जाए तो इन नदियों का नाम उदालती गंगा और मनसा देवी था इस स्थान का महत्व बहुत बड़ा है। क्योंकि जो इलाहाबाद का संगम का मेला होता है वह यहां से संबंधित है। उन्होंने ने यह भी कहा कि ये बहुत पुराना मंदिर है। अयोध्या में श्रीराम का जन्म हुआ और यहां पर मोक्ष की प्राप्ति हुई है। ये एक तरह से तीनों का संगम है। प्राचीन मंदिर है इसलिए इसको ठीक तरह से वर्णन नहीं किया जा सकता।

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