10 साल बाद भिखारी जैसी हालत में मिला पति....देखते ही पत्नी की आंखों से झरने लगे आंसू!


बलिया। जिले से भावुकता बढ़ाने और मानवीय संवेदना को जगाने वाला वीडियो सामने आया है। जिला अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर एक महिला को 10 साल पहले लापता हुआ उसका पति अचानक मिल गया। पति को भिखारी जैसे हालत में देख पत्नी बेहद भावुक हो गई और वहीं सड़क पर उसके बाल संवारते हुए बच्चों की तरह उससे लाड़ जताने लगी। शुक्रवार दोपहर की इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

शुक्रवार को जिला महिला अस्पताल में इलाज के लिए आई एक महिला अस्पताल गेट के बाहर फुटपाथ पर बैठे अर्धनग्न अधेड़ भिखारी को देखकर ठिठक गई। वह उसके पास दौड़ती हुई पहुंची और अपना दुपट्टा उतारकर उस व्यक्ति पर डालकर रोने लगी। यह देख आसपास लोग हैरान रह गए। साथ में महिला का बेटा भी था। उसे भी समझ नहीं आ रहा था कि मां ऐसा क्यों कर रही है। महिला ने किसी की परवाह नहीं की और रुंधे गले से उस व्यक्ति से बातें करने लगी। कभी उसके बालों को संवारती तो कभी दुपट्टे से उसका अर्धनग्न शरीर ढंकती। वह व्यक्ति किसी को पहचान भी नहीं पा रहा था। बेटे ने पूछा तो मां ने जो बताया, उसे सुनकर सब स्तबध रह गए।

महिला ने बताया कि यह भिखारी कोई और नहीं बल्कि उसका पति मोतीचंद वर्मा है। जो 10 वर्ष से लापता हैं। मां के साथ आए बेटा कभी बाप का चेहरा निहारता तो कभी मां का। यह भावुक पल देख वहां खड़े लोगों के आंखों से आंसू निकलने लगे। लोग भगवान के चमत्कार की बात कहते हुए धन्यवाद देने लगे। बलिया शहर से सटे सुखपुरा थाना के देवकली गांव निवासी मोतीचंद वर्मा दस वर्ष पहले लापता हो गए थे। उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। लिहाजा, घर छोड़ कर चले गए। पत्नी जानकी देवी ने काफी खोजबीन की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। तीन बेटों के साथ किसी तरह गुजर-बसर करने लगीं। शुक्रवार को जानकी देवी डॉक्टर से मिलने जिला अस्पताल पहुंची।

इसी बीच 10 साल से बिछड़े पति पर नजर पड़ी तो वह रोने लगीं। भावुक भरे क्षण में बेटा भी साथ आया और पिता को सहारा देकर साथ ले गया। यह वाकया जिसने भी देखा, वह भावुक हो गया। सबने जानकी को बधाई दी और कहा कि भिखारी जैसे हालत में पति को पहचानकर पास गई, यह काबिले तारीफ है। अबका समाज किसी को देखकर मुंह मोड़ लेता है। बहरहाल, दस साल बाद मोतीचंद अपने परिवार से मिल गए। उनकी मानसिक हालत अब भी ठीक नहीं है, लेकिन पत्नी व बेटे का सहारा मिला तो खुशी-खुशी उठकर चल पड़े। अब बेटे उनका इलाज कराएंगे। बेटे का कहना था कि पिता का साया सिर पर नहीं था। मां ही सहारा थी। अब मां-बाप का साया रहेगा।

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