जिस अतीक अहमद की कल तक चलती थी सल्तनत...

आज चालीसवें पर एक अदद फूल को....!


प्रयागराज।
अतीक अहमद और खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या के 40 दिन पूरे हो गए हैं. इस्लाम धर्म की रवायत के मुताबिक अतीक और अशरफ का आज चालीसवां है। पांच बार विधायक और एक बार सांसद की जिंदगी में अतीक अहमद का जबरदस्त रसूख और दबदबा था। लेकिन वक्त का सितम देखिए कि आज चालीसवें के मौके पर भी कब्र सूनी पड़ी हुई है। कब्रिस्तान से लेकर पुश्तैनी घर तक सन्नाटा पसरा हुआ है। ना तो कब्र पर किसी ने फूल चढ़ाए हैं और ना ही घर पर चालीसवें से जुड़ी कोई रस्म अदा की जा रही है। कहा जा सकता है कि अतीक अहमद की मर्जी के बिना कभी प्रयागराज में एक पत्ता भी नहीं हिलता था, आज उसी अतीक की कब्र किसी अपने की आमद के जरिए दो बूंद पानी और एक अदद फूल को तरस रही है।

इस्लामिक परंपरा के मुताबिक किसी शख्स की मौत पर 40 दिनों तक परिवार में मातम पसरा रहता है. इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते। किसी तरह की खुशियां नहीं मनाई जाती। 40 दिन पूरे होने पर चालीसवें की रस्म अदा की जाती है। परिवार के सदस्य और करीबी आमतौर पर सुबह मरहूम यानी मृतक की कब्र पर जाते हैं। कब्रिस्तान में जाकर कब्र पर फूल और चादर चढ़ाते हैं। फातिहा पढ़कर मरहूम को जन्नत में जगह मिलने की दुआएं की जाती हैं।

मरहूम को कब्र के अजाब से बचाने की विशेष दुआएं होती हैं। इसके अलावा घरों पर धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया जाता है। गरीबों को खाना खिलाने के साथ बर्तन और कपड़ों का दान दिया जाता है। माफिया अतीक और भाई अशरफ की कब्र पर ना तो कोई आंसू बहाने या फूल चढ़ाने के लिए पहुंचा है और ना ही चकिया इलाके में पुश्तैनी घर पर फातिहा हो रही है। बदनसीबी का आलम देखिए कि रात में अतीक और अशरफ की कब्र पर किसी ने चरागां यानी रोशनी भी नहीं की। अतीक और अशरफ की कब्र चालीसवें पर भी वीरान पड़ी हुई है।

कसारी मसारी इलाके के कब्रिस्तान में आज पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। अतीक और अशरफ की जिंदगी में पुश्तैनी घर पर सैकड़ों का हुजूम रहता था। सैकड़ों लोग पीछे चलते थे और काफिले में दर्जनों गाड़ियां शामिल रहती थीं। आज मौत के बाद अपनों और करीबियों ने साथ छोड़ दिया है. इसलिए गैरों से किसी तरह की उम्मीद बेमानी है। चालीसवें के दिन लोगों की दूरी और बेरुखी कतई हैरान करने वाली नहीं है।

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