तमसा प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित हुई पत्रकारिता विषयक संगोष्ठी
अपने अध्यक्षीय संबोधन में तमसा प्रेस क्लब के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि पत्रकार शासन व जनता के बीच सेतु का काम करता है। पहले एक दौर था जब चुनिंदा पत्रकार होते थे, आज पत्रकारिता में रोजगार की कोई कमी नहीं है लेकिन उसके लिए स्वयं को साबित करने की आवश्यकता है। पत्रकार धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने खबरों के कापी पेस्ट व हिन्दी पत्रकारिता में मिश्रित भाषा के प्रयोग होने के विषय को उठाया। पत्रकार सचिन श्रीवास्तव ने पत्रकारिता में शामिल वर्तमान पत्रकारों के कार्यशैली को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के पत्रकारों को पत्रकारिता के विषय पर अध्ययन करना चाहिए। पत्रकार रामजीत चंदन ने हिंदी पत्रकारिता के संघर्ष और विकास यात्रा पर प्रकाश डाला।
साहित्यकार रविन्द्र नाथ राय ने कहा कि लेखक होना गौरव की बात है लेकिन पत्रकार बनना चुनौतीपूर्ण है। आज पत्रकारिता में शोध की आवश्यकता है। हालांकि रोजगार के साथ चुनौतियां कम नहीं हैं। एक अच्छे पत्रकार को टीआरपी से ज्यादा देश व दुनिया की चिंता करनी चाहिए। रत्न प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकार को अपनी नैतिक जिम्मेदारी का ईमानदारी से पालन करना चाहिए। पाठकों की भी जिम्मेदारी है कि वह क्या पढ़ना पसंद करते हैं। अपने अध्यक्षीय संबोधन में तमसा प्रेस क्लब के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि पत्रकार शासन व जनता के बीच सेतु का काम करता है। पहले एक दौर था जब चुनिंदा पत्रकार होते थे, आज पत्रकारिता में रोजगार की कोई कमी नहीं है लेकिन उसके लिए स्वयं को साबित करने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी का संचालन करते हुए दैनिक देवव्रत समाचार पत्र के प्रधान संपादक विजय यादव ने कहा कि पत्रकारों के बीच हिंदी को देखने का नजरिया होना चाहिए। बदलते दौर में पत्रकारिता में तकनीकी दखल काफी अधिक हो गई है, आधुनिक तकनीक ने पत्रकारिता में रोजगार के अवसर को बढ़ाये हैं। तकनीकी के माध्यम से सुविधा के साथ ज्ञान में वृद्धि भी हुई है। आज साक्षरता की भाषा तकनीकी के ज्ञान के द्वारा पहचानी जाती है। संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार संदीप उपाध्याय, वेदप्रकाश सिंह लल्ला, अंबुज राय, दीपक सिंह, आलोक सिंह, रामसिंह यादव, संतोष उपाध्याय, शीतला त्रिपाठी, दीपक प्रजापति, उदयराज शर्मा, सोनू सेठ आदि लोग मौजूद रहे।
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