वो 3 मौके, जब शिलान्यास-उद्धघाटन में राष्ट्रपति के अधिकार पर चल गया PM का वीटो...


नई दिल्ली। संसद भवन की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह का 19 दलों ने बहिष्कार करने की घोषणा की है। विपक्षी दलों का कहना है कि संसद के उद्घाटन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सरकार ने दरकिनार कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार का यह कदम लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है। कांग्रेस, डीएमके और तृणमूल समेत 19 दलों ने साझा बयान में कहा है कि संविधान में राष्ट्रपति को संसद का अभिन्न अंग माना गया है। इसके अलावा वे राज्य (राष्ट्र) प्रमुख भी होते हैं। ऐसे में उन्हें संसद भवन के उद्घाटन में नहीं बुलाना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के न बुलाने को संवैधानिक पद का अपमान बताया है। राहुल ने ट्वीट कर कहा- संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों से बनती है। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बहिष्कार करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। सरकार के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शिलान्यास-उद्घाटन पर इंदिरा और राजीव कार्यकाल का उदाहरण देते हुए विपक्ष को घेरने की कोशिश की है। भारत में आजादी के बाद से ही उद्घाटन और शिलान्यास में राष्ट्रपति के अधिकारों पर प्रधानमंत्री का वीटो लगता रहा है।

कई बार बवाल मचा तो कई बार इस तरह के मुद्दे को तरजीह भी नहीं दी गई।

1. अमर ज्योति जवान- नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद और अज्ञात सैनिकों की याद में अमर ज्योति जवान बनाई गई थी। इस स्मारक के चारो तरफ सोने से अमर जवान लिखा गया है। स्मारक के सबसे ऊपर एक L1A1 सेल्फ-लोडिंग राइफल अपने बैरल पर अज्ञात सैनिक के हेलमेट के साथ खड़ी है। 21 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। उस वक्त वीवी गिरी देश के राष्ट्रपति थे। अमर ज्योति जवान के उद्घाटन पर सवाल भी उठा, लेकिन युद्ध की वजह से मामला दब गया। विपक्षी नेताओं का कहना था कि राष्ट्रपति तीनों सेना के प्रमुख होते हैं, इसलिए उनसे इसका उद्घाटन करवाना चाहिए था।

2. दिल्ली मेट्रो का उद्घाटन- साल था 2002 और महीना दिसंबर का. राष्ट्रीय राजधानी में मेट्रो का उद्घाटन होना था। शहरी विकास मंत्रालय ने इसके लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रण भेज दिया। उस वक्त एपीजे अब्दुल कलाम आजाद राष्ट्रपति थे। राष्ट्रीय राजधानी होने की वजह से दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है और यह सीधे राष्ट्रपति के अधीन होता है। उपराज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर सरकार को मॉनिटरिंग करते हैं। फाइनल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास फाइलें भेजी जाती है। दिल्ली मेट्रो के उद्घाटन के राष्ट्रपति के सर्वेसर्वा होने दलील दी गई थी। उस वक्त विपक्षी नेताओं का कहना था कि दिल्ली में राष्ट्रपति से ही मेट्रो का उद्घाटन करवाना चाहिए।

3. नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन- 2019 में इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति के पास नेशनल वॉर मेमोरियल बनकर तैयार हुआ। उस वक्त चर्चा थी कि राष्ट्रपति इसका उद्घाटन करेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दिया। उस वक्त राष्ट्रपति थे- रामनाथ कोविंद। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने प्रधानमंत्री से उद्घाटन कराए जाने का विरोध भी किया। उनका तर्क था कि राष्ट्रपति सभी सेनाओं के प्रमुख होते हैं, इसलिए सैन्य से जुड़े चीजों का उद्घाटन उन्हें ही करना चाहिए। वॉर मेमोरियल में 27 हजार शहीद जवानों का भी नाम लिखा है। इसके भीतर 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्ति भी बनाई गई है। वहीं युद्ध से जुड़ी यादों को भी वॉर मेमोरियल में रखा गया है।

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