कोविड के मामले बढ़ते ही यूपी में अलर्ट, अधिकारियों को सैंपलिंग-टेस्टिंग करने के निर्देश


लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स और सरकारी और निजी अस्पतालों को 'अलर्ट मोड' पर रखा है। सरकार ने निर्देश दिया है कि सभी पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाए। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, अस्पतालों में रसद, दवाएं, पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट, दस्ताने, मास्क और उपकरण, ऑक्सीजन प्लांट और कंसंट्रेटर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। संबंधित जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि समर्पित अस्पताल और वार्ड तुरंत सक्रिय हों।

जिन जगहों पर कोविड के मामले सामने आ रहे हैं, वहां सैंपलिंग और टेस्टिंग के भी निर्देश दिए हैं। इसके बाद सैंपल को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा। राज्य सरकार की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, सभी जिलों में श्वसन पथ के संक्रमण, इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के मामलों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में, अधिकतम केसलोड वाले जिले गौतम बुद्ध नगर (57), गाजियाबाद (55), लखीमपुर खीरी (44), लखनऊ (27), बिजनौर (12), ललितपुर (9) और सहारनपुर (8) हैं।

अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन जिलों पर कड़ी नजर रखी जाए। प्रभावित जिलों में टेस्टिंग और इलाज बढ़ाने तथा पिछली कोविड लहरों में सर्वाधिक प्रभावित जिलों में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश भी जारी किये गये हैं। एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, पिछली कोविड लहरों के दौरान जो जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए थे, उनमें बड़ी संख्या में बाहर निकलने वाली आबादी थी। चूंकि यात्री संक्रमण फैलाने वाले हो सकते हैं, इसलिए ऐसे जिलों की निगरानी से संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। राज्य एक अप्रैल से संचारी रोग नियंत्रण अभियान शुरू करेगा जो महीने के अंत तक चलेगा।

दस्तक अभियान 17 से 30 अप्रैल तक चलेगा। इसके तहत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई और जलभराव के निस्तारण की व्यवस्था की जाएगी। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में अंतर-विभागीय सहयोग से सघन वेक्टर, मच्छर नियंत्रण गतिविधियां संचालित की जाएंगी। स्कूलों में बीमारियों से बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

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