विश्व हिन्दी सचिवालय मारिशस द्वारा हुआ था आयोजन, साहित्य जगत में खुशी की लहर
डॉ.प्रतिभा सिंह का जन्म मनिहारी (गाजीपुर), गाँव में हुआ। उनकी माता श्रीमती उषा सिंह और पिता श्री दया शंकर सिंह है। डॉ. प्रतिभा सिंह का विवाह किशुनपुर (आजमगढ़) में श्री गगन सिंह से हुआ है। वर्तमान में यह अयोध्या जनपद में शिक्षिका हैं। उन्होंने इस प्रतियोगिता के लिए सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. संदीप अवस्थी के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे जी का साक्षात्कार लिया था। यदि यह कहा जाए कि डॉ प्रतिभा सिंह का रचना-संसार, त्रिवेणी की अविरल पावन धार’ है, तो अतिश्योक्ति न होगा। इन्होंने इतिहास विषय मे पी-एचडी किया है और अब विद्यार्थियों में ज्ञान-बीज उगा रही हैं।
वास्तव में डॉ. प्रतिभा सिंह अपनी उर्वर बौद्धिक भाव-भूमि पर स्वस्थ और सारगर्भित साहित्य की लहलहाती हुई अनमोल फसल उगा रही हैं। रचनावली के रूप में जाऊं कहाँ? (कहानी-संग्रह), मन धुआं-धुआं सा है (कविता-संग्रह), अस्सी घाट पर प्रेम समीक्षा (उपन्यास), शिक्षाप्रद बाल कहानियां, पंचकन्या (लम्बी कविता-संग्रह) जैसी अनमोल कृतियां हैं। अभी शीघ्र ही इनका डायरी विधा का उपन्यास कही अनकही हमारे बीच आने वाला है।
वर्तमान समय में डॉ. प्रतिभा सिंह एक ऐतिहासिक उपन्यास और एक कहानी संग्रह पर काम कर रही हैं। अब तक इन्हें भोलानाथ गहमरी सम्मन, साहित्य भारती सम्मान, सशक्त नारी सम्मान, प. रविंद्रनाथ मिश्र सम्मान, अभया महिला सेवा सम्मान,उत्तर प्रदेश साहित्य गौरव सम्मान साहित्य भारती सम्मान आदि से सम्मानित किया जा चुका है।
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